इसका अर्थ है वे इन मुद्दों को जनता के बीच ले जाकर कांग्रेस, भाजपा एवं अन्य राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों के बीच अपने संगठन के लिए जगह बनाना चाहते हैं।
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वहाँ बहुत बुनियादी प्रपत्रों के लिए जगह बनाना पीछा किया जा सकता है तो बस इतना काम है कि यह मज़ा ले अब और नहीं है के बिना सही लगते हैं.
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डा. ए के बिसोई ने इस नयाब सर्जरी को कोई नाम तो नहीं दिया लेकिन उन्होंने बताया कि हार्ट को शरीर के अंदर सेट करने के लिए जगह बनाना जरूरी था।
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परन्तु दोनों का ही अनुकरण करना अत्यन्त कठिन है क्योंकि न निष्काम भाव से कला की ऐसी साधना करना सरल है और न ही सहज भाव से दूसरों के लिए जगह बनाना हर किसी के लिए संभव नहीं है।
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हमारे यहां भी नब्बे के दशक में ‘ आधार ‘ में परिवर्तन को ‘ उदारीकरण ‘ जैसे पद के अन्तर्गत ‘ अर्थव्यवस्था ‘ में एकाएक उलटफेर करते हुए, बहुराष्ट्रीय निगमों तथा उनकी अपार पूंजी के प्रवाह के लिए जगह बनाना शुरू कर दी गयी।
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कृषि बुराई नहीं है बल्कि बुराई तो वितरण में भारी असमानता, महाजनी में वृद्धि, बहुराष्ट्रीय निगमों के लिए जगह बनाना, भारी पैमाने पर शॉपिंग मॉल एवं उपजाऊ जमीनों को नष्ट करते हुए हाइवेज का निर्माण करना है-जो बुद्धदेव सरकार ने किया है.
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पीना बाउश के बाद मंच को संभालना यानी उनके धरोहर को संभालना और नई कला के लिए जगह बनाना, “ पहले तो मैंने इसे बिलकुल ही दिमाग से निकाल दिया, इसलिए नहीं क्योंकि मुझे इस बात से डर था, बल्कि इसलिए क्योंकि मैंने कभी भी इस बारे में नहीं सोचा था. ”
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मसलन दो-तीन प्रमुख विषयों को रोज न पढ़ाकर दो घंटी लागातार या फिर एक दिन में दो बार पढ़ाना, मोटी किताबों को लाइट वेट बाइंडिंग करवाना, कॉपियों में मोटी जिल्द की बजाय सादी रखना, सात या आठ पिरियड में खेल, संगीत और दूसरी गतिविधियों के लिए जगह बनाना, आदि आदि।
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इनका महत्व ना सिर्फ खाना खाने व बोलने में है बल्कि इनका महत्वपूर्ण कार्य पक्के दांतों के लिए जगह बनाना एवं उन्हें सही स्थान में आने में मदद करना है, दूध के दांतों के नीचे ही पक्के दांत बनते है यदि दूध के दांतों की सही देखभाल की जाए तो पक्के दांतों की अपनी सही जगह आने की संभावनाएं अधिक होती है ।
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और यदि यह साहित्य के बाज़ार की एक ‘ वास्तविकता ' है तो भी न सिर्फ इसका प्रतिकार किया जाना बल्कि उस प्रतिकार के लिए जगह बनाना, उसकी नित नयी विधियाँ और अवसर खोजना और उन्हें क्रियान्वित करना कविता से जुड़े हर कार्यकर्ता का-पाठक, कवि और आलोचक-का साहित्यिक, सामाजिक और राज (नैतिक) कर्त्तव्य है. ”