| 21. | अब आते हैं क्रियमाण पर ।
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| 22. | प्रारब्ध, संचित, क्रियमाण तीन प्रकार के कर्म हैं।
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| 23. | क्रियमाण कर्म के फल-अंश के दो भेद हैं-दृष्ट और अदृष्ट।
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| 24. | सञ्चित, प्रारब्ध और क्रियमाण-यह कर्मं के तीन विभाग हैं।
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| 25. | क्रियमाण कर्म भगवान को इसलिये अर्पण करना चाहिये कि आप बिना
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| 26. | प्रतिदिन किए जाने वाले कर्मों को क्रियमाण कर्म कहा जाता है।
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| 27. | अच्छे क्रियमाण द्वारा प्राप्त किया गया भोग ईश्वर को मान्य है।
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| 28. | सञ्चित, प्रारब्ध और क्रियमाण-यह कर्मं के तीन विभाग हैं।
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| 29. | 1 संचित कर्म 2 प्रारब्ध यानी कर्मफ़ल रूपी भाग्य 3 क्रियमाण ।
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| 30. | संचित कर्म क्या होते हैं? क्रियमाण कर्म क्या होते हैं?
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