पति पत्नी यदि दोनों अहंकारी हैं और यदि पत्नी हमेशा अपनी मनवाने की जिद पकड़ लेती है तो पति को क्रोध आना तय है।
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‘ जब ‘ क्रोध आना ' यह स्वभावदोष नष्ट होगा, उसी समय तनावसे मुक्त होकर मुझे आनंद मिलेगा ', ऐसा विचार करें ।
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वैसे ब्राह्मण को अकारण क्रोध आना तो नहीं चाहिये।“ महाराज की बात सुनकर सर्वार्थसिद्ध बोले, ”प्रभो! यह सही है कि मैंने इस कुत्ते को डंडे से मारा था।
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दरअसल द्वार बहुत नीचा बना था. राजा को क्रोध आना तो लाजिमी था! उसने आदेश दिया कि निर्माण कार्य करवाने वाले ठेकेदार को सजा-ए-मौत दे दी जाये.
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कभी किसी बात पर खुशी का इजहार, दूसरों की मदद तो कभी किसी बात पर क्रोध आना, दूसरों को परेशान करना आदि इन प्रवृतियों के गुण व अवगुण हैं।
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यदि गृहस्वामी ऐसे कक्ष में शयन करता हैं तो वह अनिद्रा से ग्रस्त अथवा क्रोध आना, पूर्ण असन्तुष्टि मस्तिष्क में बनी रहना, जल्दबाजी में निर्णय लेकर, नुकसान उठाने पर पछतावा बना रहता है
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हाँ, यह सब देख कर क्रोध आता है | ऐसी बातों पर क्रोध आना स्वाभाविक है | पर क्रोध के आवेश में कुछ भी कहना या करना आपकी शक्ति को कम करता है |
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यदि गृहस्वामी ऐसे कक्ष में शयन करता हैं तो वह अनिद्रा से ग्रस्त अथवा क्रोध आना, पूर्ण असन्तुष्टि मस्तिष्क में बनी रहना, जल्दबाजी में निर्णय लेकर, नुकसान उठाने पर पछतावा बना रहता है।
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पुरुष के लिये यह लहसन अधिक कामुकता को और दुर्भाग्य को देने वाला होता है, वह हमेशा किसी न किसी नकारात्मक विचार में ही ग्रसित रहता है,सकारत्मक विचारों के आते ही उसे क्रोध आना शुरु हो जाता है।
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जब किसी भी बात का बुरा लगना समाप्त हो जाता है तो क्रोध आना भी समाप्त हो जाता है, तभी समझना चाहिये कि अब मिथ्या अहंकार मिट गया है, तभी व्यक्ति शाश्वत अहंकार में स्थित हो पाता है।