लंदन से ‘ टाइम्स नाऊ ' की नाविका कुमार की खबर साथ में छपी थी कि अक्टूबर 2009 में जब क्विंस बैटन रिले का समारोह हुआ तो उसका इंतजाम जिस कंपनी को दिया गया वह एक फर्जीवाड़ा था।
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अगस्त के पहले दो हफ्तों में जब ‘टाइम्स ग्रुप ' के अखबार और ‘न्यूज चैनल' क्विंस बैटन के दौरान हुए घपलों की पोल पट्टी खोल रहे थे और सुरेश कलमाडी की फजीहत विदेश मंत्रालय से लेकर संसद के भीतर तक हो रही थी...।
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अगस्त के पहले दो हफ्तों में जब ' टाइम्स ग्रुप' के अखबार और 'न्यूज चैनल' क्विंस बैटन के दौरान हुए घपलों की पोल पट्टी खोल रहे थे और सुरेश कलमाडी की फजीहत विदेश मंत्रालय से लेकर संसद के भीतर तक हो रही थी...।
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1983 में शतरंज से सम्बंधित वाल्टर टेविस के उपन्यास द क्विंस गम्बिट पर आधारित एलन स्कॉट की फिल्म में अपने मृत्यु के समय वे अभिनय व निर्देशन दोनों करने की योजना बना रहे थे, जो लेजर की बतौर निर्देशक पहली फ़ीचर फिल्म होती.
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[19] 1983 में शतरंज से सम्बंधित वाल्टर टेविस के उपन्यास द क्विंस गम्बिट पर आधारित एलन स्कॉट की फिल्म में अपने मृत्यु के समय वे अभिनय व निर्देशन दोनों करने की योजना बना रहे थे, जो लेजर की बतौर निर्देशक पहली फ़ीचर फिल्म होती.[2][20]
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[19] 1983 में शतरंज से सम्बंधित वाल्टर टेविस के उपन्यास द क्विंस गम्बिट पर आधारित एलन स्कॉट की फिल्म में अपने मृत्यु के समय वे अभिनय व निर्देशन दोनों करने की योजना बना रहे थे, जो लेजर की बतौर निर्देशक पहली फ़ीचर फिल्म होती.
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आश्चर्य की बात यह है कि रिले के दौरान क्विंस बैटन को थामने वालों में कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी मौजूद थे, लेकिन उनकी तस्वीर बैटन लिये हुए मुख्यपृष्ठ पर खबर नहीं बनी? एक बार फिर मीडिया ग्लैमर सेलिब्रेटरी के आगोश में समा गया।