पूरब की तरफ वाले मकान के चारों तरफ पीतल की ऊंची दीवार थी इसलिए उस मकान का केवल ऊपर वाला हिस्सा दिखाई था और कुछ मालूम नहीं होता था कि उसके अन्दर क्या है, हां छत के ऊपर एक लोहे का पतला महराबदार खम्भ निकला हुआ जरूर दिखाई दे रहा था जिसका दूसरा सिर उसके पास वाले कुएं के अन्दर गया हुआ था।
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श्रीमती जैन ने कहा कि मेरे जीवन का उध्देश्य शिक्षा का प्रसार है, इसके लिए जीवन की अंतिम श्वांस समर्पित है, अपने इस उध्देश्य की पूर्ति के लिए में सातों जातों के बच्चों को गोद लूगीं, उन्हें अपने निर्देशन मे शिक्षा का वातावरण देकर ऐसा राष्ट्रभक्त खम्भ तैयार करुंगी और उनके माता-पिता को समर्पित करुंगी, जो परिवार, समाज एवं राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित कर्तव्य अदा करेगें।
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श्रीमती जैन ने कहा कि मेरे जीवन का उध्देश्य शिक्षा का प्रसार है, इसके लिए जीवन की अंतिम श्वांस समर्पित है, अपने इस उध्देश्य की पूर्ति के लिए में सातों जातों के बच्चों को गोद लूगीं, उन्हें अपने निर्देशन मे शिक्षा का वातावरण देकर ऐसा राष्ट्रभक्त खम्भ तैयार करुंगी और उनके माता-पिता को समर्पित करुंगी, जो परिवार, समाज एवं राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित कर्तव्य अदा करेगें।