यह चक खराद मशीन के स्पिंडल के दाहिने सिरे पर अन्य चकों की भाँति ही चढ़ा दिया जाता है और उस पोले स्पिंडल के दूसरे सिरे पर एक हल्का सिलिंडर और पिस्टन होता है जो एक छड़ के द्वारा उस पोले स्पिंडल के मध्य में से होकर चक्र से संबंधित रहता है।
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लेकिन केवल कुछ चेहरे ही भारत के मुसलामानों की तकदीर और तस्वीर बयान नहीं कर सकते हैं! भारत के मुसलामानों को ये समझना होगा की रिक्शा चलाने या खराद मशीन चलाने से ही उनका भविष्य उज्जवल नहीं हो जाएगा! ये खुदा की देन है कि मुस्लिम युवाओं को हाथ का कारीगर समझा जाता है!