जवाब में यह ख़ेमा बाबा तुलसीदास को ही कोट कर सकता है-सकल पदारथ यही जग माहिं, करमहीन नर कछु पावत नाहीं.जबकि नियति की बात करने वाले की नियति ही है कि वह अपने लिए कर्महीन, आलसी और भाग्यवादी जैसी संज्ञाएँ सुनने को तैयार रहे.
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ये सच है कि संसार की मौजूदा शान्ति इस वक़्त दूर होगी जबकि वेद भगवान का प्रकाश दुनिया के हर एक कौने में पहुँच जाये तो ये भी सही है कि ऋषि दयानन्द का वेद भाष्य इस क़िस्म का पायोनियर होने के बाइस इस आलमगीर शान्ति का पेश ख़ेमा होगा।
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ख़ुदा की क़सम, यह यूँ ही ज़ुल्म करते रहेंगे यहां तक के कोई हराम न बचेगा जिसे हलाल न बना लें और कोई अहद व पैमान न बचेका जिसे तोड़ न दें और कोई मकान या ख़ेमा बाक़ी न रहेगा जिसमें इनका ज़ुल्म दाखि़ल न हो जाए और उनका बदतरीन बरताव उन्हें तर्के वतन पर आमादा न कर दे और दोनों तरह के लोग रोने पर आमादा न हो जाएं।
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इस सबके बीच बॉब वूल्मर की मौत की ख़बर सुन कर तो भारतीय ख़ेमा मायूसी में डूब गया-एक तो इसलिए कि वूल्मर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट बिरादरी के एक अहम सदस्य थे, दूसरे उनके साथ ग्रेग चैपल और सीनियर खिलाड़ियों के अच्छे संबंध थे और तीसरा ये कि इस घटना ने खिलाड़ियों को झकझोर कर अहसास दिलाया कि करोड़ों दीवाने लोगों की उम्मीदों का भार उठा कर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना किस क़दर ख़तरनाक हो सकता है.