| 21. | कोई मालिक ख़ैरात नहीं करता है
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| 22. | ‘ सरम कैसी, रुपये दिये हैं कि ख़ैरात माँगते हैं।
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| 23. | फिर ख़ैरात देने की तरह टांड़-टिकुल में कुछ ज़मीन दे दीं।
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| 24. | ख़ैरात में नही मिलती मंज़िल, बढ़ कर हासिल सब होता है।
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| 25. | कम से कम ख़ैरात करना किराया और कौंसिल कर देता है.
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| 26. | दम है खुद में तो, डर कैसा? ये भीख, ख़ैरात बदलिये ।
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| 27. | अलैहा वल-मुअल्लफते क़ुलूबुहुम” (ख़ैरात (ज़कात) तो बस फकीरों और मिसकीनों और उस
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| 28. | और ख़ुल्लम ख़ुल्ला ख़ैरात करना कि वह बुरी मौत से बचाता है।
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| 29. | 11. फ़क़ीर फ़क़ीर की औक़ात पाँच रुपयों से कम क्या चाहिए नहीं ख़ैरात
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| 30. | “काम कर के देते हो...कोई मुफ्त में ख़ैरात नहीं माँगते...इसमें शर्म काहे की?”...
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