| 21. | मेरी खुली आँख, ज़ुबान और हाथ
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| 22. | क्या बन्द आँख, क्या खुली आँख-“धर्मस्य तत्वं निहितो गुहायाम्”।
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| 23. | ? सरलादी का यह दृष्टिकोण, खुली आँख से रखी श्रद्धा ही है।
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| 24. | खुली आँख से किसी को देखें, तो वह सकपका जाता था।
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| 25. | क्या बन्द आँख, क्या खुली आँख-“ धर्मस्य तत्वं निहितो गुहायाम्” ।
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| 26. | नहीं तो खुली आँख का हो, या चाहे बंद आँख का..
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| 27. | वो स्वपन ही था जो वर्षो पहले, खुली आँख से देखा था ।
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| 28. | खुली आँख तो सामने कुछ न था वो मंज़र तो सारे उड़ानों के थे
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| 29. | दिखता नहीं है खुली आँख से जो, उसे आँख को बन्द करके ही देखो।
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| 30. | टूटता तारा एक तारा टूटकर सीधा मेरी खुली आँख में गिरा और उस टूटते [...]
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