जिंदगी खुले पन्ने बिखरे शब्द धुंधली आकृति स्याह कागजों में लेखक, पाठक, श्रोता दर्शक न कलाकार बस समय, चौराहे, सनसनाहट आशंका हल नहीं किताब में अदीप्त, अपठित संघर्ष, भुलावा, छलावा प्रेम, नफरत, क्षोभ, हार-जीत धोखा, थकन, टूटन, चुभन, अंधेरा गड्डमड्ड हो रही है जिंदगी व्याकरण की तलाश में जनाक्रोश की अभिव्यक्ति सिंघम अन्ना का आंदोलन, सिस्टम और सिंघम में समानताएं