जवाहर लाल नेहरू ने भी ख़ुद संसद में खेदपूर्वक कहा था, “ हम आधुनिक दुनिया की सच्चाई से दूर हो गए थे और हम एक बनावटी माहौल में रह रहे थे, जिसे हमने ही तैयार किया था. ”
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उन् होंने खेदपूर्वक इस तथ् य को स् वीकार किया है कि इस देश में जो योजना एक बार स् वीकार कर ली जाती है, वह सदा के लिए स् वीकृत ही रहती है, उसपर पनर्विचार होता ही नहीं।
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इसी सिद्धांत के अनुआयियों द्वारा पंजीकरण को एक युद्धभूमि में परिवर्तित करने का प्रयास किया जाता है और आयोजक चाहे जितनी युगत लगा ले वह सबको बैग नहीं दे पाता और खेदपूर्वक बैग समाप्त होने कि सूचना देनी पड़ती है.
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अन्यथा जब आप सिधोली मेरे कालेज में पी. एच.डी. हेतु अपनी सिनाप्सिस के लिए आये थे, तभी मैंने खेदपूर्वक आपको बता दिया था कि आपकी कहानी का उपयोग मैं नहीं कर सका....................... आप कहते हैं कि पूरे प्रकरण में पाण्डे जी ने अपनी शातिर चालों से बाल साहित्यकार श्री रावेन्द्र कुमार रवि का नाम जोड़ दिया है।
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अमर्त्य सेन खेदपूर्वक पूछते हैं कि “ राजस्व से सम्बंधित समस्याओं पर मिडिया में किसी भी तरह की बहस क्यों नहीं होती है, जैसे कि सोने और चांदी को सीमा शुल्क में छूट, वित्त मंत्रालय के अनुसार, इसमें राजस्व को उससे ज्यादा राशि का नुकसान शामिल है (प्रति वर्ष ५ ०, ००० करोड़ रूपये) जितनी खाद्य सुरक्षा बिल के लिये जरूरी अतिरिक्त राशि (२ ७, ००० करोड़ रूपये) है. ”
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किन्तु इस समय आप एक ग्रीन कार्ड होल्डर हैँ और मुझे यह खेदपूर्वक सूचित करना पड़ रहा है कि जितनी जल्दी आप स्वदेश लौटना चाहते हैँ उतनी जल्दी स्वदेश की सरकार आप को लौटने नहीँ दे सकती क्योँकि पिछले पाँच वर्षोँ मेँ आप की गतिविधियोँ की पूरी जाँच किये विना हम आप को स्वदेश का टिकट ख़रीदने की अनुमति नहीँ दे सकते और इस जाँच मेँ यदि एक वर्ष की जाँच हम एक दिन मेँ ही पूरी कर लेँ तो भी एक सप्ताह लग ही जायगा क्योँकि स्वदेश मेँ केन्द्रीय सरकार फ़ाइव-डे-वीक के हिसाब से काम करती है.
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किन्तु इस समय आप एक ग्रीन कार्ड होल्डर हैँ और मुझे यह खेदपूर्वक सूचित करना पड़ रहा है कि जितनी जल्दी आप स्वदेश लौटना चाहते हैँ उतनी जल्दी स्वदेश की सरकार आप को लौटने नहीँ दे सकती क्योँकि पिछले पाँच वर्षोँ मेँ आप की गतिविधियोँ की पूरी जाँच किये विना हम आप को स्वदेश का टिकट ख़रीदने की अनुमति नहीँ दे सकते और इस जाँच मेँ यदि एक वर्ष की जाँच हम एक दिन मेँ ही पूरी कर लेँ तो भी एक सप्ताह लग ही जायगा क्योँकि स्वदेश मेँ केन्द्रीय सरकार फ़ाइव-डे-वीक के हिसाब से काम करती है.