‘ दलतंत्र ‘ की असाध्य बीमारी ने राज्य की जनतांत्रिक संस्थाओं को ही नहीं, पार्टी के प्राण-तत्व, उसके सभी जन-संगठनों को भी खोखला करना शुरू कर दिया था।
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जिस थाली में खाना, उसी में छेद करना, जिस घर में रहना, उसकी ही दीवारों को खोखला करना राजनीति का मूल मंत्र है, ताकि दूसरों को किनारे लगाया जा सके और अपने पंथ को निष्कंटक बनाया जा सके।
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किन्तु दुर्भाग्य से हमारी लोकतान्त्रिक व्यवस्था का लाभ उठाते हुए यह विचार भारत की संसदीय राजनीति में पिछले दरवाजे से प्रवेश कर गया है तथा अब घुन की तरह उससे चिपक कर अन्दर से उसे खोखला करना में लगा हुआ है।
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किन्तु दुर्भाग्य से हमारी लोकतान्त्रिक व्यवस्था का लाभ उठाते हुए यह विचार भारत की संसदीय राजनीति में पिछले दरवाजे से प्रवेश कर गया है तथा अब घुन की तरह उससे चिपक कर अन्दर से उसे खोखला करना में लगा हुआ है।
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सरकार की आमदनी करने वाले विभागों जैसे माइनिंग, एक्साईज और वाणिज्यिक कर आदि की वसूली में सरकारी हस्तक्षेप देश व राज्यों की आय को कम करता है व देश की प्राकृतिक सम्पदा को सस्ते में लूटा देना देश को अन्दर से खोखला करना है।
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सांसदों को खरीदा जा सकता है, न्याय को मखौल बनाया जा सकता है या अमीरों के हाथों का खिलौना, नौकरशाही तंत्र को व्यवसाय की चेरी बनाया जा सकता है, अखबारों को स्वयं व्यवसाय में बदला जा सकता है, पर इसी तरह साहित्य को खोखला करना आसान नहीं होता।
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क़ स्बा बना है अरबी की क़स्ब qasb धातु से जिसमें काटना, आघात करना, जिबह करना, खोखला करना, पृथक करना, आंत, बांस, वंशी, सरकण्डा, नरकुल, पाईप, पानी का नल, नहर, एक्सल, अक्षदण्ड, आधार स्तम्भ, क़िला, कोठी जैसे अर्थ निहित हैं।
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किसी समय मैं हमारा देश सोए की चिड़िया कहलाता था, लेकिन अब ये आतंकबदी इसे खोखला करना चाहते है, पर हम एसा नही होने देगे| और इन नेताओ को बोलो की देश चलाना इनकी बस की बात नही रही है| ये नेता घर रहे, और दल रोटी खाए| कोई की ये अब किसी काम के नही रह गये है.
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हम पाश्चात्य जीवन शैली की खैरात जुटाने में इतने मशगुल हो गए हैं कि अपने पूर्वजों के बनाए नियम, अनुशाषण, संस्कारों, मूल्यों पर वट वृक्ष की जड़ों जैसी हमारी गहरी आस्था, विश्वास और श्रद्धा को कब इस पाश्चात्य जीवन शैली के अन्धानुकरण की दीमकों ने खोखला करना शुरू कर दिया हमें इस बात का एहसास ही नहीं है.
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को एक दुसरे का पर्याय मान लिया गया. हम पाश्चात्य जीवन शैली की खैरात जुटाने में इतने मशगुल हो गए हैं कि अपने पूर्वजों के बनाए नियम,अनुशाषण,संस्कारों,मूल्यों पर वट वृक्ष की जड़ों जैसी हमारी गहरी आस्था,विश्वास और श्रद्धा को कब इस पाश्चात्य जीवन शैली के अन्धानुकरण की दीमकों ने खोखला करना शुरू कर दिया हमें इस बात का एहसास ही नहीं है.