यदि अपरांश स्थित आच्छादित राशि की छाया दशा में गुरु तब प्रवेश करता हो जब भावेश चाहे वह स्वयं गुरु ही क्यों न हो, तो गलित कुष्ठ होता है।
22.
यदि लग्नेश आठवें भाव में मंगल के साथ या अष्टमेष लग्न में षष्टमेष के साथ हो तथा लग्न पर किसी पाप ग्रह क़ी दृष्टि हो तों गलित कुष्ठ होता है.
23.
ये नकली वामपंथी, जो हमेशा से पूँजीवादी व्यवस्था की दूसरी सुरक्षा पंक्ति का काम करते रहे हैं, उनका “ समाजवाद ” आज गलित कुष्ठ रोग जितना घिनौना हो चुका है।
24.
यदि द्वादशान्शेश एवं नवमेश की दशमांश कुंडली में दृष्टि-युति हो रही हो तथा राहु गुरु से युक्त हो, चाहे यह युति केंद्र में ही क्यों न हो, गलित कुष्ठ होता है।
25.
यदि तराशने में विकिरण दिशा चमकदार दिखने की कोशिस में अनुक्रमानुपाती हो गयी तो भयंकर गलित कुष्ठ, बांझपन तथा परिवार में व्यसन-वासना का अभ्युदय बहुत ही शीघ्रता से एवम उत्कट तरीके से होता है।
26.
गलित कुष्ठ और सफेद कुष्ठ में अन्तर यह है कि गलित कुष्ठ (कोढ़) टपकता है अर्थात् अंगों में गलन चालू हो जाती है, अंग गल-गल कर गिरने लगते हैं और सफेद दाग में चमड़ी सफेद या लाल कलर की हो जाती है।
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गलित कुष्ठ और सफेद कुष्ठ में अन्तर यह है कि गलित कुष्ठ (कोढ़) टपकता है अर्थात् अंगों में गलन चालू हो जाती है, अंग गल-गल कर गिरने लगते हैं और सफेद दाग में चमड़ी सफेद या लाल कलर की हो जाती है।
28.
प्रयाण वैतालिक के अनुसार यदि होलिका क़ी छानी हुई राख में शुद्ध एवं शोधित गंधक, रस कपूर एवं त्रिपत्रिका के सूखे पत्तो का चूर्ण मिलाकर भक्षण किया जाय तों भयंकर चर्म रोग यहाँ तक कि गलित कुष्ठ भी ठीक हो जाता है.
29.
यदि कोई व्यक्ति किसी भी तरह के कुष्ठ रोग-गलित कुष्ठ, सफ़ेद कुष्ठ, वादी कुष्ठ, ग्रंथि कुष्ठ, उकवत, अपरस, एक्जीमा, संक्रामक खुजली, भगंदर तथा जीर्ण व्रण (Ulcer) या अर्बुद (Cancer) rog से पीड़ित हो तो उसे पारद शिवलिंग की उपासना अवश्य ही करनी चाहि ए.
30.
आक की सूखी हुई जड़ 2 ग्राम यवकूट कर 400 मिलीलीटर जल में पकाकर 50 मिलीलीटर शेष रहने पर सेवन करने से गलित कुष्ठ की शुरुआती अवस्था में जब हाथ-पैरों की अंगुलियां मोटी हो गई हो, कानों की बालियां बैडोल, नासिका का अग्रभाग लाल रंग, क्षत शरीर के किसी भी भाग में हो और वे ठीक न हो तब लाभकारी है।