बुद्ध मुद्रा में बैठे रहने वाले व्यक्ति के लिए भी आखिरकार गावदी के अर्थ में ‘ बुद्धू ' शब्द रूढ़ हुआ और एकटक ताकते रहने वाले व्यक्ति को ‘ मूढ़ ' की संज्ञा दी गई।
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इ समें कोई संदेह नहीं कि घनचक्कर का मूल घनचक्र है मगर आज हिन्दी से घनचक्र गायब हो चुका है और इसकी जगह मुहावरेदार अर्थवत्ता वाला रूपान्तर घनचक्कर विराजमान है जिसका अर्थ मूर्ख, आवारा, गावदी, निठल्ला आदि है मुश्किल ये है कि यह अर्थवत्ता स्थापित कैसे हुई ।
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समीर जी ने अपना प्रिय काला चश्मा उतारा, कनखियों से हमें निहारा और बोले नादान “ सीसीपी ” का जमाना है हम ठहरे लिपट अज्ञानी, गावदी की तरह आँखें झपकाई और दोहराया “ सीसीपी ” समीर भाई मुस्कुराये, धीरे से बुदबुदाये “ कट, कापी और पेस्ट ” ।