इतना तो था कि वो कभी कभी कुछ दार्शनिक बातें कहता तो अन्य लोगो के सिर के ऊपर से गुजर जाती और इसे ही पागल समझने लगते मगर उन में से कोई भी नहीं सोच सकता था कि उनके बीच गुदड़ी का लाल छुपा है.
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इतना तो था कि वो कभी कभी कुछ दार्शनिक बातें कहता तो अन्य लोगो के सिर के ऊपर से गुजर जाती और इसे ही पागल समझने लगते मगर उन में से कोई भी नहीं सोच सकता था कि उनके बीच गुदड़ी का लाल छुपा है.
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इंडिया बुल्स का भाव इसलिए बढ़ा क्योंकि मोतीलाल का इश्यू महँगे भाव पर खरीदने को निवेशक तैयार बैठे थे और मोतीलाल का भाव बाद में इसलिए बढ़ा क्योंकि एक और गुदड़ी का लाल मोतीलाल से भी ज्यादा महँगे भाव पर इश्यू लाने की तैयारी कर रहा था!!!
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गन्नों के रस वाले ऐसा खेल कर सकते है तो हमारे शेयर बाजार वाले क्यों नहीं कर सकते? इंडिया बुल्स का भाव इसलिए बढ़ा क्योंकि मोतीलाल का इश्यू महँगे भाव पर खरीदने को निवेशक तैयार बैठे थे और मोतीलाल का भाव बाद में इसलिए बढ़ा क्योंकि एक और गुदड़ी का लाल मोतीलाल से भी ज्यादा महँगे भाव पर इश्यू लाने की तैयारी कर रहा था!!!
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‘ बिष-बीज ' (लघुकथा संग्रह) ; गलत होते संदर्भ, सूखते पोखर की मछली, दरिन्दे, बिना चेहरे का पेट, प्रतिनिधि कहानियां, शान्ति निकेतन में डान, कोहरे से लिपे चेहरे, श्रेष्ठ कहानियां (सभी कहानी संग्रह) ; युद्ध जारी है, यह जग काली कूकरी (उपन्यास) ; गुदड़ी का लाल (व्यंग्य संग्रह) ; आईना (पत्र संकलन) ; अपने ही जाये दुःख, सड़क जो है, सेक्यूलर (सभी आलेख संग्रह) नागर जी की प्रकाशित कृतियां हैं।