शायद पाठ उस समय की एक जोड़ी या उसके एक बिट के लिए एक दिन में एक बार कॉल, लेकिन क्या उसे गुस्सा दिलाना और उसका समय क्या गलत है की सब पूछ शुरू नहीं.
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तो बस उसे कुछ दिनों खुद को और दे तो उसके साथ आधार फिर से एक बार स्पर्श वह किसी को जो कुछ के माध्यम से काम कर ने का समय था उसे गुस्सा दिलाना है.
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स्कूल कालेज टाइम मे इस वाक्य को हम लोग कई प्रकार से प्रयोग कर लेते है गुस्सा दिलाना हो तो “ तुम तो वैसे ही गन्दे हो, नहा के भी क्या उखाड़ लोगे? ”
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आज, मार्गरेट चो स्टैंड अप कॉन्सर्ट फिल्म, चो आश्रित की रिहाई का सूत्रपात करने के लिए-और स्पिन का पहला “अजीब” समस्या को अलविदा कहने-हम हर जगह गंदगी बाहर गुस्सा दिलाना हास्य और दोस्त के इंडी-रॉकर्स की फुटेज है हर किसी के मंच के पीछे उसकी की आवाज़ करने के लिए 2010
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अगर कोई व्यक्ति कम्प्यूटर या संचार उपकरण के माध्यम से ऐसा संदेश भेजता है जो अश्लील, गलत या डर पैदा करने वाला हो और जिसके भेजने का उद्देश्य किसी को असुविधा पहुंचाना, गुस्सा दिलाना, अपमान करना, बाधा पहुंचाना, चोट पहुंचाना, खतरा पैदा करना, दुश्मनी निकालना या बुरा चाहना हो, ऐसे मैसेज केलिए जुर्माने के साथ तीन साल की सजा हो सकती है।
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ग़मों से दूर जाना चाहता हूँ मैं फ़िर से मुस्कुराना चाहता हूँ ॥ मैं बच्चा बन के मां की गोद से फ़िर लिपट के खिलखिलाना चाहता हूँ ॥ पिता ही धर्म हैं ईमां हैं मेरे वहीं बस सर झुकाना चाहता हूँ ॥ जहां कोई खड़ा है राह ताकता वहीं फ़िर लौट जाना चाहता हूँ ॥ सुना है रूठ कर सुन्दर लगे है उसे गुस्सा दिलाना चाहता हूँ ॥ लहू का रंग मेरा इश्क जैसा मैं साँसे शाईराना चाहता हूँ ग़ज़ल होती नहीं बस वो मुकम्मल जिसे उसको सुनाना चाहता हूँ ॥ अर्श
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ग़मों से दूर जाना चाहता हूँ मैं फ़िर से मुस्कुराना चाहता हूँ ॥ मैं बच्चा बन के मां की गोद से फ़िर लिपट के खिलखिलाना चाहता हूँ ॥ पिता ही धर्म हैं ईमां हैं मेरे वहीं बस सर झुकाना चाहता हूँ ॥ जहां कोई खड़ा है राह ताकता वहीं फ़िर लौट जाना चाहता हूँ ॥ सुना है रूठ कर सुन्दर लगे है उसे गुस्सा दिलाना चाहता हूँ ॥ लहू का रंग मेरा इश्क जैसा मैं साँसे शाईराना चाहता हूँ ग़ज़ल होती नहीं बस वो मुकम्मल जिसे उसको सुनाना चाहता हूँ ॥ अर्श आधी जली बीड़ी...