तुम्हारे पास, हमारे पास, सिर्फ़ एक चीज़ है-ईमान का डण्डा है, बुद्धि का बल्लम है, अभय की गेती है / हृदय की तगारी है-तसला है / नये-नये बनाने के लिए भवन / आत्मा के, मनुष्य के, हृदय की तगारी में ढोते हैं हमीं लोग / जीवन की गीली और / महकती हुई मिट्टी को।
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मुक्तिबोध ने यह भी तो कहा है-“ तुम्हारे पास, हमारे पास, सिर्फ़ एक चीज़ है-ईमान का डंडा है, बुद्धि का बल्लम है, अभय की गेती है हृदय की तगारी है-तसला है नए-नए बनाने के लिए भवन आत्मा के, मनुष्य के, हृदय की तगारी में ढोते हैं हमीं लोग जीवन की गीली और महकती हुई मिट्टी को। ”
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देखा तो था यूं ही किसी ग़फ़लत-शआर ने दीवाना कर दिया दिले-बेईख्तियार ने ये आरज़ू के धुंधले खराबो! जवाब दो फिर किस की याद आई थी मुझको पुकारने तुझको खबर नहीं मगर इक सादालौह को बर्बाद कर दिया तेरे दो दिन के प्यार ने मै और तुम से तर्के-मोहब्बत का आरजू दीवाना कर दिया है गमे-रोज़गार ने अब ऐ दिले-तबाह! तेरा क्या ख़्याल है हम तो चले थे काकुले-गेती संवारने ||
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इसके समानांतर ही मीरा गेती बड़े शहर में, अपने बड़े मिशन पर लगी, अपनी बड़ी प्रोफाइल के प्रति गौरवान्वित होती, हर दम सजग, तेज़, स्वावलंबी और जुनूनी उस आधुनिक लड़की की भी प्रतिनिधि है जो अकेले रहती है, जिंदगी अपनी शर्तों पर जीती है, सिगरेट पीती है, गालियाँ भी दे सकती है, अपनी पसंद का काम करती है, खतरें और बॉयफ्रेंड्स वगैरह उसके लिए कोई मायने नहीं रखते, और वो हर गलत को सही करने की कोशिश ज़रूर करती है.