वो बर्फ का मक्कू और गैस वाला सोडावाटर, इमली चूरन की ठिलिया, देशी आइसक्रीम या चाट पकौड़ो की गुमटी, कोई हाइजीन की प्रोबलम नही कोई फूड प्वाइजनिंग का डर नही …..
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यह महज संयोग नहीं है कि ठीक उसी दिन (13 सितंबर को) यूपीए ने डीज़ल और रसोई गैस वाला फ़ैसला लिया और अगले दिन, 14 सितंबर (जब हिंदी पट्टी के बुद्धिजीवी हिंदी दिवस मनाने में मशगूल थे) को खुदरा बाज़ार में 51 फ़ीसदी एफडीआई का।
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साधारण मजदूर, सुरक्षा गार्ड, वॉचमैन, पार्किग अटेंडेंट, पेपर वाला, इस्तरी वाला, माली, दूध वाला, बढ़ई, प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन, कूरियर वाला, गैस वाला, लिफ्टमैन, सफाई कर्मचारी और कचरा ले जाने वाला ऐसे आम आदमी की श्रेणी में आते हैं।
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कयोंकि हम तो उतरने का नाम ही नही लेते थे…..लगभग यही रवैया बाकी स्टाल्स वालों का होता था………अब खाने पीने की बात कर ली जाये……..वो बर्फ का मक्कू और गैस वाला सोडावाटर,इमली चूरन की ठिलिया,देशी आइसक्रीम या चाट पकौड़ो की गुमटी, कोई हाइजीन की प्रोबलम नही कोई फूड प्वाइजनिंग का डर नही…..