साथ ही शनि उस समय राहु के नक्षत्र में था जो कि लग्न में द्वादश में है, और गोचर में भी राहु का चतुर्थ से गोचर करना धन-जन की हानि एवं प्रजा में मानसिक चिन्ता एवं भय का सूचक है।
22.
ज्योतिषिय अध्ययन से यह ज्ञात हुआ है की आर्थिक रुप से देखने पर शनि की साढेसाती (Shani Sade Sati) व ढैया (Shani Dhaiya) से भी अधिक कष्टकारी है शनि का चन्द्र से पांचवे घर पर गोचर करना है.