| 21. | ग्रसिका खुलती है, फडिस क्षेत्र और जठरनिर्गमी भाग जिसका छोटी आंत में निकास होता है ;चित्र द्वारा-विजय-मित्र:-3।
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| 22. | एक जोड़ी निश्रोत ग्रंथियाँ होती हैं, जो ग्रसिका के पास, मष्तिष्क के कुछ पीछे और कॉरपोरा कार्डियेका (
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| 23. | इस स्नायु विदर के वाम और वाम खंड के पश्चिम पृष्ठ पर ग्रसिका (oesophagus) खाता रहता है।
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| 24. | आहार नाल की दीवार में ग्रसिका से मलाशय तक, चार स्तर होते हैं ;चित्र द्वारा-विजय-मित्र:-4 जैसे सिरोसा, मस्कुलेरिस, सबम्यूकोसा और म्युकोसा।
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| 25. | ग्रीवा-सूत्रकृमि शरीर का वह अग्रभाग, जो ग्रसिका रखता है, इसको एकडोरिलायमिड ग्रसिका के पतले अग्र भाग के लिये भी प्रयोग किया जाता है.
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| 26. | ग्रीवा-सूत्रकृमि शरीर का वह अग्रभाग, जो ग्रसिका रखता है, इसको एकडोरिलायमिड ग्रसिका के पतले अग्र भाग के लिये भी प्रयोग किया जाता है.
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| 27. | आहर नाल मुख, मुखगुहा, ग्रसनी, ग्रसिका, आमाशय, क्षुद्रांत्र, वृहदांत्र, मलाशय और मलद्वार से बनी होती है।
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| 28. | ग्रसिका में दो पार्श्वीय थैलियाँ खुलती हैं और पीछे वह अमाशय में खुलती है आमाशय एक चौड़ी थैली के आकार का होता है।
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| 29. | वक्ष में महाधमनी से निम्नलिखित शाखाएँ निकलती हैं: ग्रसिका (oesophageal), श्वासनलिका तथा हृदयावरणी (pericardial) शाखाएँ, जो इन अंगों में चली जाती हैं।
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| 30. | इसके बाद भोजन ग्रसनी से होकर बोलस के रूप में ग्रसिका में प्रवेश करता है, जो आगे क्रमाकुंचन द्वारा आमाशय तक ले जाया जाता है।
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