इनके कार्य की दूसरी विशेषता यह है किसिमेंटेड ग्रेवेल प्रथम और सिमेंटेड ग्रेवेल द्वितीय के ऊपर के स्तरों कीजमावट को इन्होंने लोएस माना.
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काचन नदी में उन्हें अधिकतम चार मीटर एवं दोनो नहरों तथा अन्यजगह सामान्यतया एक से दो मीटर तक की मोटाई का सिमेंटेड ग्रेवेल प्रथम मिला.
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अभिमुखी (कन्वर्जेट) ४. तिरछा या ढलवाकार (स्लोप्ड) सिमेंटेड ग्रेवेल प्रथम से प्राप्त एशूलियन संस्कृति का तीसराउपकरण स्क्रेपर है, या तो वृताकार है या पाश्रवर्त्ती है.
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यही प्रक्रिया सिमेंटेड ग्रेवेल प्रथम के जमाव की भी रही होगी. सिमेंटेडग्रेवेल द्वितीय के ऊपर करीब १० मीटर मिट्टी का जमाव है, जिसमें लाल बलुईकँकड़ीली सतहें पायी जाती हैं.
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ऊपर जमावट का रंग पीला या जर्द है. यह बलुई सतह की जमावट है. मिट्टीकी इस जमावट के ऊपर फिर एक कड़ी जमावट है, जिसे सिमेंटेड ग्रेवेल तृतीय कहागया है.
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इस प्रकार डैया से चिल्लहिया तक करीब २ किलोमीटर कीदूरी में नदी के दोनों किनारों पर सिमेंटेड ग्रेवेल प्रथम और द्वितीय उभड़आये, जो आज की पुरातात्त्विक खोज में उपकरण और जानवर की हड्डियों के लिएभण्डार सिद्ध हुए.