एसिटल CoA शर्करा और वसा के चयापचय के साथ सामान्य मध्यवर्ती है, और ग्लूकोज को तोड़कर कर बनाए गए ग्लाइकोलिसिस का उत्पाद है.
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ग्लाइकोलिसिस के बाद कोशिकीय श्वसन-क्रिया एक और जीवरसायनिक क्रिया चक्र में प्रवेश करती है, जिसे क्रेब्स-चक्र या सिट्रिक एसिड सायकिल या ट्राइकोर्बेक्सिलिक एसिड सायकिल भी कहते हैं।
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इनमें ग्लुट-४ यातायातक का प्लाज़्मा मेम्ब्रेन तक विस्थापन और ग्लूकोज़ का इन्फ्लक्स (३), ग्लाइकोजन संश्लेषण (४), ग्लाइकोलिसिस (५) एवं वसा अम्ल संश्लेषण (६) शामिल हैं।
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ग्लाइकोलिसिस और क्रेब्स चक्र में हमने देखा कि एक ग्लूकोज के अणु से दस उच्च ऊर्जा-वाहक तत्व NADH और दो FADH 2 बनते हैं, जो इलेक्ट्रोन परिवहन श्रंखला में मुख्य इलेक्ट्रोन दानदाता के रूप में कार्य करते हैं।
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ग्लाइकोलिसिस (ग्लाइकोस = ग्लूकोज का पुराना नाम और लाइसिस = विघटन या टूटना) ग्लूकोज का चयापचय पथ है जिसमें ग्लूकोज C 6 H 12 O 6 का एक अणु टूट कर पाइरुवेट (तीन कार्बन का एक अणु) CH 3 COCOO-+ H + के दो अणुओं में विभाजित हो जाता है।
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इस क्रिया में ग्लाइकोलिसिस का अंत पदार्थ पाइरूविक अम्ल पूर्ण रूप से आक्सीकृत होकर कार्बन डाईआक्साइड और जल में बदल जाता है तथा ऐसे अनेक पदार्थों का निर्माण होता है जिनका उपयोग अन्य जैव-रासायनिक परिपथों में अमीनो अम्ल, प्यूरिन, पिरिमिडिन, फैटी अम्ल एवं ग्लूकोज आदि के निर्माण में होता है तथा अधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।
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इस क्रिया में ग्लाइकोलिसिस का अंत पदार्थ पाइरूविक अम्ल पूर्ण रूप से आक्सीकृत होकर कार्बन डाईआक्साइड और जल में बदल जाता है तथा ऐसे अनेक पदार्थों का निर्माण होता है जिनका उपयोग अन्य जैव-रासायनिक परिपथों में अमीनो अम्ल, प्यूरिन, पिरिमिडिन, फैटी अम्ल एवं ग्लूकोज आदि के निर्माण में होता है तथा अधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।
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इस क्रिया में ग्लाइकोलिसिस का अंत पदार्थ पाइरूविक अम्ल पूर्ण रूप से आक्सीकृत होकर कार्बन डाईआक्साइड और जल में बदल जाता है तथा ऐसे अनेक पदार्थों का निर्माण होता है जिनका उपयोग अन्य जैव-रासायनिक परिपथों में अमीनो अम्ल, प्यूरिन, पिरिमिडिन, फैटी अम्ल एवं ग्लूकोज आदि के निर्माण में होता है तथा अधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।