अगर द्रेक्कन और नवमांश कुण्डली में लग्न, होरा लग्न और घटिका लग्न पर किसी ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो अथवा सम्बन्ध बन रहा हो तो व्यक्ति की जन्म कुण्डली में राजयोग बनता है.
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चोलवंश के अभिलेखों से ज्ञात होता है कि चोल नरेशों ने संस्कृत साहित्य और भाषा के अध्ययन के लिए विद्यालय (ब्रह्मपुरी, घटिका) स्थापित किए और उनकी व्यवस्था के लिए समुचित दान दिए।
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अगर आपकी कुण्डली में कोई ग्रह आपके जन्म लग्न को देख रहा हो, होरा लग्न में भी वही ग्रह उस स्थान को देख रहा हो और घटिका लग्न में भी समान स्थिति हो तो कुण्डली में शक्तिशाली राजयोग समझना चाहिए.
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परमेश्वरवर्मन् की मृत्यु पर उसके वंशजों के अभाव में राज्य के अधिकारियों ने विद्वान् ब्राह्मणों की घटिका के परामर्श से द्वादशवर्षीय नंदिवर्मन् द्वितीय पल्लवमल्ल (730-800) की सिंहासन पर बैठाया यह सिंहविष्णु के भाई भीमवर्मन् के वंशज हिरण्यवर्मन् का पुत्र था।
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परमेश्वरवर्मन् की मृत्यु पर उसके वंशजों के अभाव में राज्य के अधिकारियों ने विद्वान् ब्राह्मणों की घटिका के परामर्श से द्वादशवर्षीय नंदिवर्मन् द्वितीय पल्लवमल्ल (730-800) की सिंहासन पर बैठाया यह सिंहविष्णु के भाई भीमवर्मन् के वंशज हिरण्यवर्मन् का पुत्र था।
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उपर्युक्त वर्णन का अभिप्राय यह है कि योगी पूर्वोक्त रीति से विमर्श करता हुआ क्षण, घटिका, प्रहर, अहोरात्र, मास, वर्ष, युग, मन्वन्तर, कल्प और महाकल्प आदि को यौगिक भावना द्वारा व्याप्त कर लेता है।
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परमेश्वरवर्मन् की मृत्यु पर उसके वंशजों के अभाव में राज्य के अधिकारियों ने विद्वान् ब्राह्मणों की घटिका के परामर्श से द्वादशवर्षीय नंदिवर्मन् द्वितीय पल्लवमल्ल (730-800) की सिंहासन पर बैठाया यह सिंहविष्णु के भाई भीमवर्मन् के वंशज हिरण्यवर्मन् का पुत्र था।