4 में तरल लोहे को रखने या उस पर काम करने के लिए विशेष कुंडों ‘ व्यासटिकाओं, घरिया, क्रुसिबल ' के निर्माण का वर्णन है।
22.
नगर के कई बाजारों में सड़क की पटरियों पर लगी मिट्टी की घरिया सहित लाई-लावा, चूड़ा-गट्टा एवं चीनी से बने खिलौने की दुकानों पर ग्राहकों का तांता लगा रहा।
23.
सिंदूर, अक्षत, गेंदा के फूल, घरिया में गन्ने का रस, आधा कटा नीबू, चूड़ी के टुकड़े, लौंग आदि लेकर नजर बचा कर किसी व्यक्ति या किसी दूसरे मुहल्ले/गांव पर चलऊआ रख दिया जाता है।
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सिंदूर, अक्षत, गेंदा के फूल, घरिया में गन्ने का रस, आधा कटा नीबू, चूड़ी के टुकड़े, लौंग आदि लेकर नजर बचा कर किसी व्यक्ति या किसी दूसरे मुहल्ले/गांव पर चलऊआ रख दिया जाता है।
25.
ख. इसके पश्चात् भ्रामणिकमूषा (घूमने वाली घरिया-rotating crucible) में प्राचीन स्पर्शमान पैमाने पर २ ६ ५ कक्ष्य (लगभग ९ ४ ० ºc) पर पिघलाते हैं और तब ग.
26.
नगर के इलियट घाट मार्ग से घंटाघर मार्ग की पटरियों पर अस्थाई रूप से लगाई गई कई दुकानों पर घरिया और मिट्टी के दीए सहित लाई, लावा, चूड़ा, रेवड़ी, गट्टा, चीनी के खिलौने, नानखटाई आदि की ही दुकानें लगी रहीं।
27.
लेखन पठन सामग्री के रूप में पहली कक्षा में मेरे पास यही सामान यानी एक लकड़ी की पटरी, एक घरिया दुधिए का घोल, एक नरकट की कलम, एक भरुकी पोचारा और एक चुल्ला और रंगबिरंगे लग्गे थे, किन्तु कोई किताब नहीं थी।
28.
यह मंत्रा थाः ÷ताले क पानी पताले जो, सेर भर दुधिया मोरे में आ जो', संकठा सिंह के सिखाने के अनुसार हम इस तथाकथित मंत्रा को गाते हुए अपने हाथ को दूसरे बच्चे के पास वाली दुधिया की घरिया की तरफ फैला कर हवा में ही अंजुली बना कर अपनी घरिया की तरफ वापस लाते।
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यह मंत्रा थाः ÷ताले क पानी पताले जो, सेर भर दुधिया मोरे में आ जो', संकठा सिंह के सिखाने के अनुसार हम इस तथाकथित मंत्रा को गाते हुए अपने हाथ को दूसरे बच्चे के पास वाली दुधिया की घरिया की तरफ फैला कर हवा में ही अंजुली बना कर अपनी घरिया की तरफ वापस लाते।
30.
चाक डोलै चकबन्ही डोलै खैर पीपर कबहू न डोलै पिपरा के आरी आरी गोर बइठावै दिनवैं कहानी घर भरना सुनावै बुधनी के मम्मा गइलैं पैंड़ा भुलाई एतनै में बदरी गइल ओर माई पानी आई, अंगने भराय जाई थरिया बुधनी कै माई भरी घरिया पर घरिया चाक चलती है, चकबन्धी चलती है लेकिन खैरा पीपर कभी नहीं डोलता।