भारतीय चिंतन जीवन को एक चक्रिक प्रक्रिया मानता है-रात के बाद दिन फिर रात, सुख के बाद दुःख और दुःख के बाद फिर सुख, यहाँ तक तो ठीक है मगर जीवन के बाद मृत्यु और फिर जीवन या पुनर्जीवन / पुनर्जन्म तार्किक दृष्टि से तो सही है मगर ऐसी कोई पद्धति उपलब्ध नहीं जो इसका सत्यापन कर सके...