डेली कॉमन सेंस डाट काम पर BLOG लिखते हुए 1 व्यक्ति ने इसकी तुलना नास्त्रेदम के चतुष्पदी से की है ।
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इसके लिए उन्होंने रोला छंद को आधार बनाया तथा बोलचाल की भाषा और लय का प्रयोग करते हुए चतुष्पदी को लोकरंग में रंगने का काम किया।
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इसके लिए उन्होंने रोला छंद को आधार बनाया तथा बोलचाल की भाषा और लय का प्रयोग करते हुए चतुष्पदी को लोकरंग में रंगने का काम किया।
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इसके लिए उन्होंने रोला छंद को आधार बनाया तथा बोलचाल की भाषा और लय का प्रयोग करते हुए चतुष्पदी को लोकरंग में रंगने का काम किया।
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कवि ने गीत, सॉनेट, ग़ज़ल, बरवै, रुबाई, काव्य-नाटक, प्रबंध कविता, चतुष्पदी इत्यादि छंदों में अपने व्यापक अनुभव को शब्दबद्ध किया।
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लेकिन सभी में चतुष्पदियों का लेखन इतनी अधिक मात्रा में हुआ कि ‘ मुक्तक ' शब्द के उच्चारण से ही किसी ‘ चतुष्पदी ' का आभास होने लगता है।
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जुगाली करने वाले चतुष्पदी प्राणी जो रेशेदार पदार्थों (मुख्य रूप से सेल्यूलोज़) को पचा सकते हैं, वे अग्रोदर और जुगाली का उपयोग करके इस विभाजन को और आगे बढ़ाते हैं.
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इसीलिए मैंने सबसे पहली चतुष्पदी इसे पोस्ट किया है जो हमारे संकल्पों को रेखांकित करता है-हम मुश्किलों से लड़ कर मुकद्दर बनाएँगे, गिरती हैं जहाँ बिजलियाँ वहाँ घर बनाएंगे।
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जुगाली करने वाले चतुष्पदी प्राणी जो रेशेदार पदार्थों (मुख्य रूप से सेल्यूलोज़) को पचा सकते हैं, वे अग्रोदर और जुगाली का उपयोग करके इस विभाजन को और आगे बढ़ाते हैं.
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4-ॐ मनोभ्याय चतुष्पदी भवः-चौथे फेरे में हम संकल्प लेते हैं कि आजन्म एक दूजे के सहयोगी रहेंगे और खासतौर पर हम पति-पत्नी के बीच ख़ुशी और सामंजस्य बनाये रखेंगे.