सीहोर में रहते थे सैनिक 1848 से ही भोपाल की एक फौज को सीहोर में अंग्रेजी सैनिकों की कमान में प्रशिक्षण दिया जाता था (यह प्रशिक्षण केन्द्र चाँदमारी कहलाता था, जो सैकड़ाखेड़ी मार्ग अरोरा अस्पताल के पीछे सीवन नदी के किनारे-किनारे स्थित था)
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मेरी नज़र में वो रिंद ही नहीं साक़ी, जो मस्ती और होश मे इंतियाज़ करे … ” गूगल पे भी मैंने इसका अर्थ खोजा, चाँदमारा तो नहीं मिला लेकिन ‘ चाँदमारी ' मिला जिसका अर्थ होता है बंदूक का निशाना लगाने का अभ्यास।
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सीहोर में रहते थे सैनिक 1848 से ही भोपाल की एक फौज को सीहोर में अंग्रेजी सैनिकों की कमान में प्रशिक्षण दिया जाता था (यह प्रशिक्षण केन्द्र चाँदमारी कहलाता था, जो सैकड़ाखेड़ी मार्ग अरोरा अस्पताल के पीछे सीवन नदी के किनारे-किनारे स्थित था) सीहोर में रहने वाली फौज का नाम भोपाल कन्टिनजेंट था।
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वैसे भी जब देश इतनी तेजी से तरक्की कर रहा हो तो ऐसी-वैसी बातें अच्छी नहीं लगती कविता में चाँदमारी नहीं चाँद-चाँदनी की बातें ही शोभती हैं शोभती हैं शफक, धनुक, हिज्र, विसाल की बातें मीना बाजारों ने ये कैसी रंगत बिखेरी कि बदलाव के गीत गाने वाले अब अम्नो-शान्ति की ग़जल गुनगुना रहे हैं