| 21. | एक चादर तक नहीं है बिछाने को...
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| 22. | ‘ गहरे कुहरे की चादर से सालस सूर्य
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| 23. | और चादर ओढ़कर तत्क्षण उनकी श्वास निकल गई।
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| 24. | उठती है और चादर बदल लेती है...
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| 25. | उस मोटे ‘ देहाती ' चादर में ;
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| 26. | अँधेरे की गाढ़ी चादर फैलती जा रही है।
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| 27. | बुनी मन के करघे चादर कैसे बने बिम्ब,
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| 28. | पास मे ही चादर ढुलकी हुई पड़ी थी।
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| 29. | 0 उगा सूरज समेट के चादर भागा अँधेरा।
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| 30. | ओढ़ना-बिछौना छोड़ चादर ले बाहर निकलता हूँ ।
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