इसके विपरीत इंग्लैड में चार्टिस्ट आंदोलन का प्रभाव अपने उच्चतम स्तर पर पहंच चुका था और मार्क्स एंगेल्स इसे निश्चित तौर पर यूरोपीय मजदूर आंदोलन के अग्रिम दस्ते के रुप मे देखते थे.
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वह आंदोलन वर्षों तक चलने के बाद यदि नाकाम रहा अथवा एक समय में अपने समर्थन में तीन करोड़ हस्ताक्षर जुटा लेने के बाद भी उस आंदोलन की सफलता सीमित रही, तो इसलिए कि चार्टिस्ट आंदोलन के कर्णधार आम जनता के बीच अपनी पैठ बनाने में नाकाम रहे थे.
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ब्रिटेन जोकि उन दिनों सबसें अधिक विकिसित देश था और अति उत्पदन के संकटों से सबसें अधिक त्रस्त था, पूंजीपतियों के विरूद्ध मजदूर वर्ग के संघर्ष प्रथम व्यापक, जनव्यापी तथा राजनीतिक रूप से संगठित सर्वहारा (मजदूर जिनके पास अपनी श्रम शक्ति बेचेने के अलावा उत्पादन का कोई साधन नहीं होता) के क्रांतिकारी आंदोलन-चार्टिस्ट आंदोलन-का रूप ग्र्रहण किया।
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चार्टिस्ट आंदोलन के बारे में प्रसिद्ध इतिहासकार क्रिस हरमन अपनी पुस्तक ‘ विश्व का जन इतिहास ' में लिखते है कि ‘ अभी तक पूंजीपति वर्ग ने सामंतशाही के विध्वंस का काम युरोप में नहीं किया था, पर उसने एक नया शोषित वर्ग पैदा कर लिया था जो फ्रांसीसी क्रांति की क्रांतिकारी भाषा का इस्तेमाल पूंजीपति वर्ग के ही विरूद्ध कर सकता था ' ।