अभियोजन पक्ष की कहानी की पुष्टि चिकित्सीय साक्ष्य अर्थात पी0ड0-4 डाक्टर और पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्रदर्ष क-4, पंचायतनामा प्रदर्ष क-7 और पटवारी पी0ड0-6 के कथन से हो रही है।
22.
इस प्रकार पी0डब्लू0-1 वादिया एवं पी0डब्लू0-4 जगदीश द्वारा घायल के सिर मे जो चोटे बतायी है उसका समर्थन चिकित्सीय आख्या एवं चिकित्सीय साक्ष्य से पूर्ण रूप से होता है।
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ओर न ही ऐसा कोई प्रमाण पत्र अथवा चिकित्सीय साक्ष्य प्रस्तुत की गयी है जिससे यह प्रकट आई चोटो के परिणामस्वरूप आवेदिका की आय आर्जन क्षमता प्रभावित हुई है।
24.
विधि की अभिमान्य व्यवस्था है कि यदि पी0एम0 रिपोर्ट एवं चिकित्सीय साक्ष्य तथा गवाहों के बयान में तारतम्यता न हो तो गवाह का बयान विश्वसनीय नहीं कहा जा सकता।
25.
अभियुक्त की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि वादी द्वारा जो चोटे अपनी शरीर मे आनी बतायी गयी है उसका समर्थन चिकित्सीय साक्ष्य से नही होता है।
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तीनों में से किसी को माननीय उच्च न्यायालय ने विश्वसनीय नहीं पाया तथा चिकित्सीय साक्ष्य एवं गवाहों के बयान में सन्धार्यणीय विसंगतियां थीं, इसलिए मुल्जिमों को शंका लाभ दिया गया था।
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यह तथ्य चिकित्सीय साक्ष्य से समर्थित है, जिसमें पी0 डब्लू0-12 डा0 बीरेन्द्र कुमार साहू चिकित्साधिकारी ने संत ज्ञानेश्वर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्रदर्शक-9 अपने लेख व हस्ताक्षर में होना प्रमाणित किया है।
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बिश्णू उर्फ उन्द्रा बनाम महाराश्ट्र राज्य 2006 (1) जे0क्रि0सी0 281 के नजीर मे माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा सापेक्ष विषेशज्ञ अवधारित किया गया है कि मौखिक साक्ष्य के चिकित्सीय साक्ष्य की बाध्यता नही है।
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जब कि इस सम्बन्ध मे कोई चिकित्सीय आख्या अथवा चिकित्सीय साक्ष्य पत्रावली पर प्रस्तुत नहीं किया गया है जिससे यह साबित हो सके कि वादी को नशीला पदार्थ अथवा बिषैला पदार्थ खिलाया गया था।
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इस प्रकार वादी पी0डब्लू0-1 के कथनो मे अनेको विरोधाभास घटना के सम्बन्ध मे है तथा नशीला पदार्थ खिलाने के सम्बन्ध मे वादी की कोई चिकित्सीय आख्या अथवा चिकित्सीय साक्ष्य पत्रावली पर प्रस्तुत नहीं किया गया है।