10 पक्तियॉ जो बच गयी, उनका प्रताप यह है कि क्षिप्त-विक्षिप्त और मूढ़ वृत्तियों का शमन कर यह एकाग्रता और निरुद्ध चित्त वृत्ति प्रदान करती है।
22.
अथवा शब्द, स्पर्ष, रूप, गंध वाली दिव्य स्तर की वृत्ति, उत्पन्न होने पर चित्त वृत्ति का निरोध करती है क्यिंकि वह मन को बांधने वाली होती है ॥३५॥
23.
केवल हिंदी की ही नहीं, किसी भी भाषा की कविता पाठकों द्वारा समझे जने के लिये एक विशेष चित्त वृत्ति और मानसिक अंतराल जी मांग करती है.
24.
अनुभव मूलक विधि से आत्मा बुद्धि का दृष्टा है, बुद्धि चित्त का दृष्टा है, चित्त वृत्ति का दृष्टा है, वृत्ति मन का दृष्टा है, और मन संसार का दृष्टा है।
25.
@ रचना जी, नारी और पुरूष के केवल शारीरिक संरंचना ही नही अपितु सोचने, समझने, चित्त वृत्ति, मनोभाव में भी प्रकृ्ति ने कुछ अन्तर निर्धारित किया है.
26.
आपने विल्कुल अनुभव की बात कही है कि जिस क्षण व्यक्ति हिंसक चित्त वृत्ति से गुजरता है वह स्वयं भी कितना परेशान सा हो जाता है कि जैसे शान्त समुद्र में ज्वार आ गया हो ।
27.
चित्त वृत्ति के स्थिर रहने पर देखना श्रवण करना मनन करना सूंघना आदि सूक्ष्म रूप से महसूस किया जा सकता है, द्रश्य वृत्ति को अगर चित्त वृत्ति मे शामिल कर लिया जाये तो कर्म वृत्ति का उदय होना शुरु हो जाता है।
28.
चित्त वृत्ति के स्थिर रहने पर देखना श्रवण करना मनन करना सूंघना आदि सूक्ष्म रूप से महसूस किया जा सकता है, द्रश्य वृत्ति को अगर चित्त वृत्ति मे शामिल कर लिया जाये तो कर्म वृत्ति का उदय होना शुरु हो जाता है।
29.
चित्त वृत्ति को साधने की क्रिया को ही साधना के नाम से पुकारा जाता है, और जो अपनी चित्त वृत्ति को साधने मे सफ़ल हो जाते है वही अपने कर्म पथ पर आगे बढते चले जाते है और नाम दाम तथा संसार मे प्रसिद्धि को प्राप्त कर लेते है।
30.
चित्त वृत्ति को साधने की क्रिया को ही साधना के नाम से पुकारा जाता है, और जो अपनी चित्त वृत्ति को साधने मे सफ़ल हो जाते है वही अपने कर्म पथ पर आगे बढते चले जाते है और नाम दाम तथा संसार मे प्रसिद्धि को प्राप्त कर लेते है।