प्रायश्चित (एकांकी); महाराणा का महत्व (काव्य); राजश्री (नाटक) चित्राधार (इसमे उनकी 20 वर्ष तक की ही रचनाएँ हैं)।
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यश्चित (एकांकी); महाराणा का महत्व (काव्य); राजश्री (नाटक) चित्राधार (इसमे उनकी 20 वर्ष तक की ही रचनाएँ हैं)।
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जयशंकर प्रसाद, ये पहले ब्रजभाषा की कविताएँ लिखा करते थे जिनका संग्रह ' चित्राधार ' में हुआ है।
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इनकी रचनाओं का विवरण निम्नवत है-काव्य-चित्राधार, कानन कुसुम, प्रेम-पथिक, महाराणा का महत्व, झरना, करुणालय, आंसू, लहर एवं कामायनी।
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इनकी प्रमुख रचनाये है: कविताये:महाराणा का मह्त्व, चित्राधार,कानन-कुसुम,लहर,झरना,आंसू,करुणालय और कामायनी ।नाटक: अजातशत्रु,एक घूंट,चन्द्रगुप्त,स्कंदगुप्त और धुवास्
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‘ चित्राधार ' से लेकर ‘ कामायनी ' तक छायावाद की काव्यभाषा का विकास आधुनिक खड़ीबोली काव्यभाषा के विकास क्रम को दर्शाता है।
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महादेवी के शब्दों में.... ” कनक से दिन मोती सी रात सुनहली सॉंझ गुलाबी प्रात, मिटाता रंगता बारम्बार कौन जग का यह चित्राधार ।
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राग रागिनी, नायिका भेद, ऋतु वर्णन, बारहमासा, कृष्णलीला दरबार, शिकार, हाथियों की लड़ाई, उत्सव अंकन आदि बूँदी शैली के चित्राधार रहे हैं।
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के बारे में रूपरेखा चित्राधार तस्वीरों को दर दो आस-पास के लोग और खोज मेल-का-खेल राशि महाशक्तियाँ समायोजन गोपनीयता डेस्कटॉप अनुप्रयोग समूह के दिशानिर्देश ऑनलाइन सुरक्षा मार्गदर्शक प्रयोग शर्ते गोपनीयता
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