चौरसिया जी की दुकान पर पान खाने वालों कि भीड़ ज् यादा ही रहती है कारण कुछ उन के पान लगाने का तरीका व कुछ उनका किसी न किसी विषय पर चुटकी लेना, वह तो मात्र चुटकी लेकर पान लगाने लगते है और वहां पान खाने आए लोग उन विषयों पर अपनी राय मशवरा देने लगते है और वह मशवरा धीरे-धीरे एक बहस का रूप ले लेती है चाहें वह खेल हो, पोलिटिक् स या किसी हारी-बीमारी पर।