जैसे ही काटने के लिए कैंची उठाई कि भाई ने फरमाइश की......दीदी परसों वाली फिल्म में जैसे अमिताभ बच्चन ने चुस्त वाला चूडीदार पायजामा पहना था,वैसा ही बना देगी???...मैंने पूरे लाड से उसे पुचकारा...क्यों नहीं भाई...जरूर बना दूंगी...इसमें कौन सी बड़ी बात है.
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सफ़ेद चूडीदार सलवार सूट, खुले बाल, सांवला चेहरा, माथे पर छोटी सी बिंदी, कानों में झुमके, हाथों में चूड़ियां और पैरों में पायल, दिल्ली जैसे बड़े शहर में सुन्दरता और सादगी का ऐसा मिश्रण मैंने पहली बार देखा था।
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तेरी चोलियाँ सीने के लिए मै मेरा पुराना दर्जी बुलानेवाली थी...आके यहीं रहने वाला था...बक्सों मेसे सारी-के सारी किनारे बाहर निकाली गयी,लेसेस निकली, जालियाँ निकली, ज़रीके फूल निकले....हाँ, इस चोलीपे ये लेस अच्छी लगेगी,इसवालेपे ये किनार...इसकी बाहें इसतरह सिलवानी हैं...पीठपे ये ज़र सजेगी....ओहो!!राघव के लिए अभी चूडीदार पजामे-कुरते लाने हैं!!
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तेरी चोलियाँ सीने के लिए मै नासिक से पुराना दर्जी बुलानेवाली थी...आके यहीं रहने वाला था...बक्सों मेसे सारी-के सारी किनारे बाहर निकाली गयी,लेसेस निकली, जालियाँ निकली, ज़रीके फूल निकले....हाँ, इस चोलीपे ये लेस अच्छी लगेगी, इसवालेपे ये किनार...इसकी आस्तीनें इसतरह सिलवानी हैं...पीठपे ये ज़र सजेगी....ओहो!!राघव के लिए अभी चूडीदार पजामे-कुरते लाने हैं!!
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जैसे ही काटने के लिए कैंची उठाई कि भाई ने फरमाइश की......दीदी परसों वाली फिल्म में जैसे अमिताभ बच्चन ने चुस्त वाला चूडीदार पायजामा पहना था,वैसा ही बना देगी???...मैंने पूरे लाड से उसे पुचकारा...क्यों नहीं भाई...जरूर बना दूंगी...इसमें कौन सी बड़ी बात है.बिछे हुए कपडे के बीच का कपडा काट कर मैंने दो पैरों की शक्ल दे दी और बड़े ही मनोयोग से उसे सिलना शुरू किया..
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करे भी क्यों ना साधना कि बराबरी कोई नही कर सकता (ये भी मैं नही कह रही) साधना,तंग कुर्ता चूडीदार पायजामा, हेयर स्टाइल तक 'साधना-कट' कहलाता है आज भी भारतीय खूबसूरती का पर्याय साधना...साधना पर.....भाईयो/ भतीजों /पिताओं साधना जी ने जो हम महिलाओं को दिया उसके लिए 'अदाजी,रानी,वाणी,सीमा बोले तो बात समझ में आती है,पर यहाँ तो समस्त पुरुष वर्ग साधना साधना पुकार रहा है.
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करे भी क्यों ना साधना कि बराबरी कोई नही कर सकता (ये भी मैं नही कह रही) साधना,तंग कुर्ता चूडीदार पायजामा, हेयर स्टाइल तक 'साधना-कट' कहलाता है आज भी भारतीय खूबसूरती का पर्याय साधना...साधना पर.....भाईयो/ भतीजों /पिताओं साधना जी ने जो हम महिलाओं को दिया उसके लिए 'अदाजी,रानी,वाणी,सीमा बोले तो बात समझ में आती है,पर यहाँ तो समस्त पुरुष वर्ग साधना साधना पुकार रहा है.
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जो पाँव बचपन में अंगुली पकड़ दोड़ते थे अब बड़े होने पर नाट्यडव और अडव सीखने के लिए होम वर्क छोड़, चूडीदार पहन उसका इन्जार करते और वो शाम को आफिस के बाद रसोई छोड़ टेक्सी किया करती, उसे उतार कर कम्यूनिटी सेंटर के कार पार्क में आफिस की फाइल को पहले तो बिना खोले घूरती फिर खोल कर... दोनों दबे पाँव घर घुसती... अपराधियों की तरह...
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जो पाँव बचपन में अंगुली पकड़ दोड़ते थे अब बड़े होने पर नाट्यडव और अडव सीखने के लिए होम वर्क छोड़, चूडीदार पहन उसका इन्जार करते और वो शाम को आफिस के बाद रसोई छोड़ टेक्सी किया करती, उसे उतार कर कम्यूनिटी सेंटर के कार पार्क में आफिस की फाइल को पहले तो बिना खोले घूरती फिर खोल कर... दोनों दबे पाँव घर घुसती... अपराधियों की तरह... कहीं यह सुनने को ना मिल जाए “भरत नाटियम सीखना जरूरी नहीं है पढ़ना जरूरी है”...
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मैंने और भइया ने साथ में ही नाश्ता कर लिया तो भइया ने कहा चलो मै तुम्हे स्कूल छोड़ते हुए जाऊंगा, स्कूल से मै घर लगभग तीन बजे ही आ गया, भाभी ने दरवाजा खोला, भाभी ने आज सफ़ेद रंग की चूडीदार और काले रंग का कुरता पहन रखा था, आज वो कुछ जादा ही प्रसन्न दिख रही थी, खाना खा कर हम दोनों बेड रूम में आ गए भाभी ने छोटू को पहले से ही सुला दिया था.