ऐसा कोई मिला ना जग में जिसको मन का दर्द सुनाऊं जग भर की वेदना लिए मैं किसको गहरी टीस दिखाऊँ जिसको समझा दोस्त वही
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जग भर दीखती हैं सुनहली तस्वीरें मुझको मानो कि कल रात किसी अनपेक्षित क्षण में ही सहसा प्रेम कर लिया हो जीवन भर के लिए!!
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अजय मलिक कुछ दीप जलाओ तुम भी, कुछ दीप जलाएँ हम भी हर घर में उजियारा भरने कुछ दीप जलाओ तुम भी जग भर को उजियारा करने
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समीर भाई-कल तो आपके साथ थे ही बड़े-बडे जग भर के............ आपका पुर्ण रुपेण स्वागत है, बबलु धमाल बैन्ड पार्टी को बुला लेगें, गरुड़ वाहन विश्राम स्थल पर।
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इस जगत में हर किसी के अहम हैं अलग किन्तु ज्ञान सबकी व्यक्तिवादी चेतना है गीत जग भर के दुखों की आत्मा है प्यार हर इंसान का परमात्मा है।
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@मसला अम्बर और बादलों के अंह-टकराव का है और दोष दिया जा रहा है जग भर में ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण-प्रदूषण के नाम इंसानों पर क्या बात कह दी!
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समतामयी उदार शीतलांचल जब फैलाती है, जाते भूल नृपति मुकुटॉ को, बन्दी निज कडियॉ को; जग भर की चेतना एक होकर अशब्द बहती है किसी अनिर्वचनीय, सुखद माया के महावरण में.
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मसला अम्बर और बादलों के अंह-टकराव का है और दोष दिया जा रहा है जग भर में ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण-प्रदूषण के नाम इंसानों पर, इस साल-दर-साल वादी में विलंबित होती बर्फबारी का।
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प्राणी की पीड़ा पर मैं स्नेह लेप बन जाऊँ जग भर की सारी चिन्ताएँ मिटा दूँ बहुत सुंदर लिखा है आपने शोभा जी यदि हम ऐसा कर सके तो बहुत ही अच्छा है:)!!
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समतामयी उदार शीतलांचल जब फैलाती है, जाते भूल नृपति मुकुटॉ को, बन्दी निज कडियॉ को ; जग भर की चेतना एक होकर अशब्द बहती है किसी अनिर्वचनीय, सुखद माया के महावरण में.