ये एक जड़वादी व्यवस्था है और समाज में सब कुछ बदल सकते हैं, यहाँ तक की धर्म भी, पर जाति नहीं बदल सकते हैं।
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“पूँजीवादी लोकतंत्र का विरोध कर रहे हैं-इस्लामिक जड़वादी और माओवादी-वो इसका विकल्प नहीं हो सकते।” " कितने साल लगाए इस सत्य को समझने में?
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उनकी वाणी के तनिक थमते ही मुनिश्रेष्ठ वाम्बरीश कहने लगे-दरअसल जिसे जड़वादी पदार्थ कहते हैं, वह प्रकृति के तमोगुण की एक साधारण सी अभिव्यक्ति है।
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इस कहानी की पूर्वोक्त टिप्पणी में यह विश्वास आभासित होता है कि आत्मवाद के भक्तों के पास किसी ऐसे रहस्य का ज्ञान है जिससे जड़वादी अपरिचित हैं।
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इस आलेख के आदिप्रश्न के संदर्भ में इस कहानी के चुनाव का कारण प्रेमचंद की यह पूर्वोद्धृत टिप्पणी है-” जड़वादी चकित थे यह क्या माजरा है।
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यदि हम प्रत्यक्ष को केवल इन्द्रिय-प्रत्यक्ष की सीमा में सिकोड़ दें, तो हम उन्हें चार्वाक जैसे नास्तिक एवं जड़वादी दार्शनिकों की श्रेणी में खड़ा कर देंगे।
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हालांकि इसके लिए सतर्क रहने की आवश्यकता होगी ताकि धार्मिक या दूसरे जड़वादी ताकतों को अपनी धार्मिक मान्यताओं को किसी व्यक्ति विशेष पर थोपने का अवसर नहीं मिल सके।
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भले ही जड़वादी मानसिकता के शिकार यानी पुरातनपंथी उसे लाखों कोसते रहें कि उससे मानवीय संबंधों की शुचिता बाधित होगी, आदि-आदि; पर अंतरजाल है बड़े ही काम की चीज़ ।
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और उसी समय पश्चिमसंस्क़ति में, शिक्षा में ज्ञान में, कितनीआगे! कौन कहता है कि यूरोपयांत्रिक संस्क़ति का गुलाम है? जड़वादी है? अपने ज्ञान-विज्ञान के सहारेउन्होंने आदमी कीआध्यात्मिक ताकत भी बढ़ायी है.
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भले ही जड़वादी मानसिकता के शिकार यानी पुरातनपंथी उसे लाखों कोसते रहें कि उससे मानवीय संबंधों की शुचिता बाधित होगी, आदि-आदि ; पर अंतरजाल है बड़े ही काम की चीज़ ।