| 21. | आदेशः अभियुक्तगण सोहन दास, श्रीमती तारी देवी एवं जरब दास को धारा-201 (बी) भारतीय दण्ड संहिता के आरोप से दोषमुक्त किया जाता है।
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| 22. | इस गवाह ने अपने शपथपूर्वक बयान में कहा है कि मैं हाजिर अदालत मुलजिमान सोहन दास, जरब दास, तारी देवी को पहचानता हूं।
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| 23. | इस राशि को बीस से जरब (गुना) कर दीजिये इतना ही समय लगता है इलेक्त्रों को धातु की सतह से उड़ने में.
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| 24. | अभियुक्तगण सोहन दास, श्रीमती तारी देवी एवं जरब दास को धारा-498 एवं 304 (बी) भारतीय दण्ड संहिता के अर्न्तगत दोष सिद्ध करार दिया जाता है।
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| 25. | अभियुक्तगण श्रीमती तारी देवी एवं जरब दास दोनों वृद्ध हैं और धारा-304 (बी) भारतीय दण्ड संहिता में 7 साल से कम की सजा नहीं हो सकती।
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| 26. | इस गवाह ने यह कथन भी किया है कि सोहन दास व मेरी लड़की ललिता जरब दास के साथ ही रहते थे, अलग नहीं रहते थे।
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| 27. | अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता की ओर से यह तर्क किया गया कि अभियुक्तगण सोहन दास, श्रीमती तारी देवी एवं जरब दास को कम से कम सजा दी जाय।
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| 28. | इस गवाह ने यह कथन किया है कि सोहन दास, तारी देवी, जरब दास व गीता मुलजिमान ललिता की लाश लेकर नीचे अपने घर पर आ रहे थे।
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| 29. | करीब एक माह तक मेरी लड़की ललिता के साथ सोहन दास पति, ससुर जरब दास एवं सास तारी देवी व ललिता की ननद गीता का व्यवहार ठीक रहा।
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| 30. | जरब दास ने कोई सूचना नहीं दी थी कि ललिता ने फांस लगायी है, लेकिन मैं सुबह 8.00 बजे के करीब गुन्दियाटगांव में अपनी लड़की की ससुराल पहुंच गया था।
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