विरह का जलजात जीवन, विरह का जलजात तरल जलकण से बने,घन-साक्षणिक मृदुगात ' महादेवी जी के बारे में आप के इस बहुमुल्य आलेख के लिये बधाई
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विरह का जलजात जीवन, विरह का जलजात तरल जलकण से बने,घन-साक्षणिक मृदुगात ' महादेवी जी के बारे में आप के इस बहुमुल्य आलेख के लिये बधाई
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विरह का जलजात जीवन, विरह का जलजात तरल जलकण से बने,घन-साक्षणिक मृदुगात ' महादेवी जी के बारे में आप के इस बहुमुल्य आलेख के लिये बधाई
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विरह का जलजात जीवन, विरह का जलजात तरल जलकण से बने,घन-साक्षणिक मृदुगात ' महादेवी जी के बारे में आप के इस बहुमुल्य आलेख के लिये बधाई
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कर रहा है आज कोई बार-बार प्रहार मन की बीन पर, स्नेह काले लोचनों से युग-कपोलों पर रहा रह-रह बिखर, कौन-सी ऐसी व्यथा है, रात में जगते हुए जलजात में!
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09868304645 स्वागत आपका स्वागत है कान में कहकर गया उड़ गया मधुपान कर कोई मधुप और पहरों काँपता-सा रह गया जलजात कोई! सुर्ख चेहरे हो गए जलकुंभियों के कान में कहकर गया कुछ बात कोई!!
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जिस महादेवी ने जीवन को `विरह का जलजात ' कहा और वेदना में जन्म, करुणा में मिला आवास के द्वारा विरह, करुणा और वेदना को व्यापक अर्थों में ग्रहण किया था, उसे नामवर ने दुख के सीमित अर्थ में रख दिया.
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जिस महादेवी ने जीवन को ‘विरह का जलजात ' कहा और वेदना में जन्म, करुणा में मिला आवास के द्वारा विरह, करुणा और वेदना को व्यापक अर्थों में ग्रहण किया था, उसे नामवर ने दुख के सीमित अर्थ में रख दिया.
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जिस महादेवी ने जीवन को ` विरह का जलजात ' कहा और वेदना में जन्म, करुणा में मिला आवास के द्वारा विरह, करुणा और वेदना को व्यापक अर्थों में ग्रहण किया था, उसे नामवर ने दुख के सीमित अर्थ में रख दिया.
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डाकियों के का़फिले फिर चल पड़े हैं गंध-भीनी चिट्ठियाँ लेकर परों में गाँव के रिश्ते सरोवर से जुड़स हैं लग गई फिर पहुँचने पुरइन घरों में हो गया ऐसा असर फिर जादुई है कुछ दिनों से सो न पाई रात कोई! और पहरों काँपता-सा रह गया जलजात कोई......