प्रिय यीशु, मैं बड़ी असावधान रीति से और बड़ी जल्दबाज़ी से निर्णय लेती हूँ क्योंकि मैं नहीं जानती हूँ कि मेरे निर्णय का प्रतिफल क्या होगा? परमेश्वर आप मेरी सहायता करें कि मैं सही निर्णय ले सकूँ।
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इस प्रकार की जल्दबाज़ी से ऑर्डिनेन्स को पारित करने की क्या आवश्यकता और उद्देश्य है जब कि अगला संसद सत्र 20 दिन बाद ही आरंभ होने को है और यह प्रस्तावित ऑर्डिनेन्स दिल्ली समूहिक बलात्कार के मामले मे लागू नहीं होगा।
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पुलिस द्वारा उठाए जाने के बारह दिनों बाद, जल्दबाज़ी से मुझे अंडा बैरक में डाल दिया गया, क़ैदियों वाला लिबास दिया गया, और शाम 4 बजे खाने के लिए बेसन और रूखी-सूखी रोटियाँ देने के बाद मुंबई के लिए ट्रेन में बैठा दिया गया।
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पुलिस द्वारा उठाए जाने के बारह दिनों बाद, जल्दबाज़ी से मुझे अंडा बैरक में डाल दिया गया, क़ैदियों वाला लिबास दिया गया, और शाम 4 बजे खाने के लिए बेसन और रूखी-सूखी रोटियाँ देने के बाद मुंबई के लिए ट्रेन में बैठा दिया गया।
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तुम्हारा फ़र्ज़ है के मेरे एहकाम के मुताबिक़ क़दम आगे बढ़ाओ और मैं जहांँ रोक दूं वहाँ रूक जाओ और ख़बरदार किसी मसले में भी तहक़ीक़ के बग़ैर जल्दबाज़ी से काम न लेना के मुझे जिन बातों का तुम इन्कार करते हो उनमें ग़ैर मामूली इन्के़लाबात का अन्देषा रहता है।
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हम अपना कचरा सड़क पर फ़ेंके पर दूसरे से अपेक्षा यह करें कि वह न िर्धारित जगह पर ही फ़ेंके, हम भले ही ट्रैफ़िक सिगनल का पालन ना करें लेकिन जब हमारी गाड़ी पर किसी की जल्दबाज़ी से खरोंच आ जाए तो लड़ने बैठ जाएं कि उ सने ट्रैफ़िक सिगनल तोड़ा इसलिए ऐसा हुआ।
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अगर ग़लती होती है तो चैनल यह तर्क देता है कि जल्दबाज़ी से हुई यह मानवीय भूल थी, गोया मिनट भर की देरी से ख़बर बासी हो जाती! जल्दबाज़ी के तर्क का इस्तेमाल सिर्फ रिपोर्टिंग तक सीमित नहीं है बल्कि पैनल में बुलाए जाने वाले लोगों के चयन में भी इसका सहारा लिया जाता है।
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इस आयत की व्याख्या में व्याख्याकर्ता कहते हैं कि ईश्वर ने इस छोटे वाक्य में अपने पैग़म्बर को आदेश दिया है कि वह काफ़िरों को अवसर दें और इस्लाम धर्म के प्रचार में जल्दबाज़ी से काम न लें ताकि वह तमाम लोग ईमान ले आएं जिनके बारे में आशा है कि वह ईमान ले आएंगे ताकि अन्य लोगों के लिए यह तर्क रहे।
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मैं अपने परवरदिगार के नुसरत पर मुतमईन हूँ और ख़ुदा की क़सम उस “ ाख़्स ने ख़ूने उस्मान के मुतालबे के साथ तलवार खींचने में सिर्फ़ इसलिये जल्दबाज़ी से काम लिया है के कहीं उसी से इस ख़ून का मुतालेबा न कर दिया जाए के इसी अम्र का गुमान ग़ालिब है और क़ौम में उससे ज़्यादा उस्मान के ख़ून का प्यासा कोई न था।
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एक बार खबर उड़ी कि कविता अब कविता नहीं रही और यूं फैली कि कविता अब नहीं रही! यकीन करनेवालों ने यकीन कर लिया कि कविता मर गई लेकिन शक करने वालों ने शक किया कि ऐसा हो ही नहीं सकता और इस तरह बच गई कविता की जान ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि यकीनों की जल्दबाज़ी से महज़ एक शक ने बचा लिया हो किसी बेगुनाह को ।