किसी भी प्रकार के कृत्रिम रंगों या प्रिजर्वेटिव की गैर मौजूदगी इसे बच्चों के लिए एकदम सुरक्षित बनती है | फाटोन्यूट्रीएन्स पौधों की सामग्री से पाए जाने वाले पोषक तत्व है जिन्हें मनुष्यों की जीवन क्षमता के लिए आवश्यक माना गया है |
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हृदयाघात से पीड़ित साठ वर्ष के लगभग 1900 स्त्रियों और पुरुषों पर किए गए हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं के एक नए शोध से पता चला है कि चाय के नियमित सेवन से हृदयाघात के शिकार लोगों में जीवन क्षमता बढ़ जाती है।
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उन्होंने कहा, “ नैतिक रूप से इस पर सहमति हो चुकी है कि अधिक जीवन क्षमता वाले मानव भ्रूण का उपयोग करने के बाद उसे नष्ट कर दिया जाए तो कम जीवन क्षमता वाले मिश्रित भ्रूण को बनाना कहाँ तक उचित है. ”
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उन्होंने कहा, “ नैतिक रूप से इस पर सहमति हो चुकी है कि अधिक जीवन क्षमता वाले मानव भ्रूण का उपयोग करने के बाद उसे नष्ट कर दिया जाए तो कम जीवन क्षमता वाले मिश्रित भ्रूण को बनाना कहाँ तक उचित है. ”
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फलस्वरूप पैदा होने वाले बच्चों की संख्या और शुक्राणुओं की जीवन क्षमता कम होने लगती है, अनुवांशिक विकार बढ़ते हैं, जन्म दर में कमी, शिशु मृत्यु दर में बढोत्तरी, शारीरिक विकास में कमी, बौनापन और बीमारियों से लड़ने की क्षमता में कमी होती जाती है.
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जिस विधि से इनका भंडारण किया जाता है वह “क्रयो-प्रीज़र्वेशन ”प्रशीतिकरण कहलाती है यानी शून्य से १५० सेल्सियसनीचे का तापमान (-१५० सेल्सियस)पर इन्हें नाइट्रोजन-वाष्प से संसिक्त (भिगोकर)रखना पड़ता है प्र्शीतिकरण में.इनकी जीवन क्षमता बनाए रखने के लिए इस निम्नतर तापमान पर इन्हें एक अतिनिम्न ताप संरक्षक “करायो-प्रोटेक्टिव एजेंट ”की ज़रुरत पड़ती है.दिक्कत यह है यह संरक्षी टोक्सिक (विषाक्त गुण लिए है)पाया गया है,ऐसे में इन्हें स्तेमाल से पूर्व विष मुक्त करना ज़रूरी हो जाता है.वरना गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे स्तेमाल-करता को ।