इस प्रकार रसायन विज्ञान का इतना महत्व बढ़ा कि वह आयुर्विज्ञान की एक पृथक् शाखा बन गया, जिसका नाम जीवरसायन (बायोकेमिस्ट्री) रखा गया।
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फर्मेंटेशन एक जीवरसायन प्रक्रिया है जिसमें जीवाणुओं द्वारा कार्बोहाइड्रेट का अवायवीय अथवा आंशिक अवायवीय ऑक्सीकरण होता है, जो लेक्टोबेसीलाई (LABs) द्वारा सम्पन्न होती है।
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जर्मनी की डॉ. योहाना बुडविज पहली वैज्ञानिक थी जिन्होंने क्वांटम भौतिकी और जीवरसायन शास्त्र का सघन अध्ययन किया और इस विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला।
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यह ए. ट ी. पी. एक विशेष अणु है जिसमें हमारी कोशिकाओं और ऊतकों में होने वाली समस्त जीवरसायन क्रियाओं के लिये ऊर्जा संचित रहती है।
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डॉ. हेनरिक ओटो वारबर्ग (जन्म-8 अक्टूबर, 1883 फ्रायबर्ग, बेडन, जर्मनी मृत्यु-1 अगस्त, 1970 बर्लिन, पश्चिमी जर्मनी) जर्मनी के महान जीवरसायन शास्त्री और शोधकर्ता थे।
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जीवरसायन (सं.) [सं-पु.] रसायन विज्ञान की वह शाखा जिसमें जीवित वस्तुओं में होने वाले रासायनिक प्रक्रमों और वस्तुओं का अध्ययन होता है।
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अब जीवरसायन की भाँति जीवभौतिकी (बायोफ़िज़िक्स) भी आयुर्विज्ञान का एक अंग बन गई है और उससे भी रोगों की उत्पत्ति को समझने में तथा उनका प्रतिरोध करने में बहुत सहायता मिली है।
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अब जीवरसायन की भाँति जीवभौतिकी (बायोफ़िज़िक्स) भी आयुर्विज्ञान का एक अंग बन गई है और उससे भी रोगों की उत्पत्ति को समझने में तथा उनका प्रतिरोध करने में बहुत सहायता मिली है।
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अब जीवरसायन की भाँति जीवभौतिकी (बायोफ़िज़िक्स) भी आयुर्विज्ञान का एक अंग बन गई है और उससे भी रोगों की उत्पत्ति को समझने में तथा उनका प्रतिरोध करने में बहुत सहायता मिली है।
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विश्वविख्यात जर्मन जीव रसायन विशेषग्य व चिकित्सक डॉ० योहाना बुड्विज (जन्म ३० सितम्बर १९०८, मृत्यु १९ मई २००३) जो भौतिक विज्ञानं, जीवरसायन विज्ञानं, औषधि विज्ञानं में मास्टर डिग्री हासिल की व प्राकृतिक विज्ञानं में पीएचडी की थी | वे यूरोप के विख्यात वसा और तेल विशेषग्य थी | उन्होंने वसा, तेल तथा कैंसर के उपचार के लिए बहुत शोध किये | उनका नाम नोबेल पुरस्कार के लिए ७ बार चयनित हुआ | वे आजीवन शाकाहारी रहीं | जीवन के अंतिम दिनों में भी वे सुन्दर, स्वस्थ व अपनी आयु से काफी युवा दिखती थी |