| 21. | जीवाश्मिकी की जिस शाखा के अंतर्गत कशेरुक जीवाश्मों का अध्ययन किया जाता है उसे कशेरुकी जीवाश्म विज्ञान (
|
| 22. | लेखक नोट करते हैं कि जीवाश्म विज्ञान के रिकोर्ड में पेंथारिनेज और प्रामेट्स के बीच साक्ष्यांकित सम्बन्ध है.
|
| 23. | अत: हम देखते हैं कि स्तरित शैलविज्ञानी का काम बिना जीवाश्म विज्ञान की सहायता के नहीं चल सकता।
|
| 24. | अत: जीवाश्म विज्ञान क्षेत्र उन्हीं प्राणियों तथा पादपों के वर्गों तक सीमित है जो फ़ॉसिल बनने के योग्य थे।
|
| 25. | अत: जीवाश्म विज्ञान क्षेत्र उन्हीं प्राणियों तथा पादपों के वर्गों तक सीमित है जो फ़ॉसिल बनने के योग्य थे।
|
| 26. | अत: जीवाश्म विज्ञान क्षेत्र उन्हीं प्राणियों तथा पादपों के वर्गों तक सीमित है जो फ़ॉसिल बनने के योग्य थे।
|
| 27. | फ़ॉसिल विज्ञान की जिस शाखा के अंतर्गत कशेरुक फ़ॉसिलों का अध्ययन किया जाता है उसे कशेरुकी जीवाश्म विज्ञान कहते हैं;
|
| 28. | इस प्रकार यह स्पष्ट है कि जीवाश्म विज्ञान आदिकालीन जीवजंतुओं का, उने अश्मीभूत अवशेषों के आधार पर अध्ययन करता है।
|
| 29. | जेप्सेन, मेयर एवं सिम्पसन के शब्दों में, कशेरुकीय जीवाश्म विज्ञान समय की सीमा में बँधे तुलनात्मक अस्थिविज्ञान का अध्ययन है।
|
| 30. | जीवाश्म विज्ञान का अध्ययन जीवविज्ञान की नई शाखा है और इसका विकास गत 200 वर्षों से ही अधिक हुआ है।
|