सॉफ्ट गीतों कि विशेषता ये होती है उन्हें आप जब चाहे बिना ना नुकुर, मूड हो ना हो सुन कर जी बहला सकते हैं।
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ला? तो ला? टेलिकास?ट भी कर दिया. इससे हमारी बेताबी और ब? गई. फिर सोचा अपना न सही फोरेन का कवि सम?मेलन देख क?छ जी बहला लेते है.
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“ हाँ, यह तो ठीक है! मुझे विश् वास है कि मेरे न होने पर तुम तोते के साथ जी बहला सकती हो, परंतु वह तोता मेरे लिए किस काम का होगा, यह भी तुमने सोचा? ”
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कि इस शहर के पेड़ो पर अब शाखे नहीं रही ॥जो तुमको देख कर जी बहला लेते थे कभी, इस चेहरे पर अब वो निगाहें नहीं रही ॥आज हर तरफ़ हैं अन्धेरा अपनी बाहें फैलाये हुए,राह दिखलाती जो, वो रोशनी की किरणे नहीं रही ॥छोड़ कर चल देना...
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कि इस शहर के पेड़ो पर अब शाखे नहीं रही ॥जो तुमको देख कर जी बहला लेते थे कभी, इस चेहरे पर अब वो निगाहें नहीं रही ॥आज हर तरफ़ हैं अन्धेरा अपनी बाहें फैलाये हुए,राह दिखलाती जो, वो रोशनी की किरणे नहीं रही ॥छोड़ कर चल देना
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तो हुआ यूं कि कई दिनों फ्रिज में रखी उस बोतल को देखने के बाद एक दिन दोपहर में हम, बंटी, सुनील, श्याम, मोना, रूबी और शायद सपना या प्रतीक था, लूडो और आइस बाइस खेल कर जी बहला रहे थे.
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सभी शिशुविद्यालयों में जलपान एवं दोपहर के भोजन की व्यवस्था; शिशु छात्रावासों की स्थापना; शिशु छात्रावासों की स्थापना; शिशुशिक्षा के लिए उपयुक्त प्रशिक्षित अध्यापिकाओं की नियुक्ति; बच्चों के क्रीड़ोपकरणों की व्यवस्था; बालसमाजों (चिल्ड्रेंस क्लबों) की स्थापना जहाँ बच्चे एकत्र होकर परस्पर मिल सकें तथा मनोरंजन के साधनों द्वारा जी बहला सकें; शिशुशिक्षा के लिए उपयुक्त साहित्य-आकर्षक पुस्तकें, पत्रपत्रिकाएँ आदि-के अतिरिक्त उपयोगी एवं आकर्षक खिलौने प्रस्तुत करना;
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सभी शिशुविद्यालयों में जलपान एवं दोपहर के भोजन की व्यवस्था; शिशु छात्रावासों की स्थापना; शिशु छात्रावासों की स्थापना; शिशुशिक्षा के लिए उपयुक्त प्रशिक्षित अध्यापिकाओं की नियुक्ति; बच्चों के क्रीड़ोपकरणों की व्यवस्था; बालसमाजों (चिल्ड्रेंस क्लबों) की स्थापना जहाँ बच्चे एकत्र होकर परस्पर मिल सकें तथा मनोरंजन के साधनों द्वारा जी बहला सकें; शिशुशिक्षा के लिए उपयुक्त साहित्य-आकर्षक पुस्तकें, पत्रपत्रिकाएँ आदि-के अतिरिक्त उपयोगी एवं आकर्षक खिलौने प्रस्तुत करना;
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पर दृढ़ रहने वाले धीर व्यक्ति के लिए यह वसुधा (पृथ्वी) एक बगिया के समान होता है (जब चाहे घूम कर जी बहला लो), समुद्र एक नहर के समान होता है (जब चाहे तैर कर पार कर लो), पाताल लोक एक मनोरंजन स्थल (पिकनिक स्पॉट) के समान होता है (जब जाहे जाकर पिकनिक मना लो) और सुमेरु पर्वत एक चींटी के घर के समान होता है (जब चाहे चोटी पर चढ़ जाओ)।
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अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहने वाले धीर व्यक्ति के लिए यह वसुधा (पृथ्वी) एक बगिया के समान होता है (जब चाहे घूम कर जी बहला लो), समुद्र एक नहर के समान होता है (जब चाहे तैर कर पार कर लो), पाताल लोक एक मनोरंजन स्थल (पिकनिक स्पॉट) के समान होता है (जब जाहे जाकर पिकनिक मना लो) और सुमेरु पर्वत एक चींटी के घर के समान होता है (जब चाहे चोटी पर चढ़ जाओ) ।