हमारे नैन ज्योतिहीन हो जायेगें-“ गारी सकल कैकई देही, नैन विहीन कीन्ह जग जेहि ॥ ” नेत्र तभी तक सार्थक है-” सवैया:-नैन वही जो लखे हरि को ।
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2005 में, खगोलविदों के एक समूह के साथ जिसमें इगनासी रिबास (CSIC), अंतरिक्ष अध्ययन संस्थान कैटालोनिया(Institute for Space Studies of Catalonia (IEEC)) और उनके सहयोगियों ने एंड्रोमेडा आकाशगंगा में ज्योतिहीन द्विआधारी तारे की खोज की.
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यह एक नितांत आत्यंतिक घटना होती है, जिसे नकार कर हम होमर से लेकर सूरदास तक के कितने ही विलक्षण जन्मांधों की ज्योतिहीन ऑखों से प्रकट हुए अनिर्वचनीय सौंदर्यलोक का रहस्य कभी जान नहीं पाएगें।
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यह एक नितांत आत्यंतिक घटना होती है, जिसे नकार कर हम होमर से लेकर सूरदास तक के कितने ही विलक्षण जन्मांधों की ज्योतिहीन ऑखों से प्रकट हुए अनिर्वचनीय सौंदर्यलोक का रहस्य कभी जान नहीं पाएगें।
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पन्द्रह दिनों के बाद पुन: विभूति जब सोल्लास कुलगुरु के घर पहुँचा तो बिस्तर पर पडी विन्द्रा को पहले पहचान नहीं पाया क्योंकि उसका चेहरा ज्योतिहीन, म्लान व शरीर बहुत कमजोर हो गया था.
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यह कहकर रुक्मिणी वहां से चली गयीं, उनकी ज्योतिहीन, पर अनुभवपूर्ण आंखों के सामने जो चरित्र हो रहे थे, उनका रहस्य वह खूब समझती थीं और उनका सारा क्रोध निरपराधिनी निर्मला ही पर उतरता था।
27.
चलो, घर चलें, लौट चलें अब उस धरती पर; जहाँ अभी तक बाट तक रही ज्योतिहीन गीले नयनों से (जिनमें हैं भविष्य के सपने कल के ही बीते सपनों से), आँचल में मातृत्व समेटे, माँ की क्षीण, टूटती काया।
28.
बीते दिन बहुतेरे चल अब लौट चलें जहाँ आँचल में मातृत्व समेटे बाट तक रहे दो ज्योतिहीन नयन गीले क्षीण होती जर्जर काया से बदन पिता का ढहे उन जीवनदान देने वाले माँ-पिता के चरणों में बनना था जिसका तुम्हें सम्बल बहुत पहले.