' ' (हदीस: बुख़ारी, मुस्लिम) ● ‘‘ झूठी गवाही देना इतना बड़ा गुनाह है कि शिर्क के क़रीब पहुँच जाता है।
22.
● झूठी गवाही देना उतना ही बड़ा पाप है जितना शिर्क (अर्थात् ईश्वर के साथ किसी और को भी शरीक-साझी बना लेने का महा-महापाप)।
23.
● झूठी गवाही देना उतना ही बड़ा पाप है जितना शिर्क (अर्थात् ईश्वर के साथ किसी और को भी शरीक-साझी बना लेने का महा-महापाप)।
24.
अभियुक्त का बयान अन्तर्गत धारा 313 (1) (बी) दंप्रसं0 के तहत लिखा गया तो अभियुक्त गलत मुकदमा चलना व गवाहान को झूठी गवाही देना कहा।
25.
अभियुक्तगण का बयान अर्न्तगत धारा 313 दंड प्रक्रिया संहिता अंकित किया गया जिसमें उन्होने गवाहों द्वारा झूठी गवाही देना कहा और झूठा मुकदमा चलना कहा।
26.
● झूठी गवाही देना उतना ही बड़ा पाप है जितना शिर्क (अर्थात् ईश्वर के साथ किसी और को भी शरीक-साझी बना लेने का महा-महापाप) ।
27.
अभियोजन साक्ष्य समाप्त होने के पष्चात अभियुक्त का बयान अन्तर्गत धारा 313 दंप्रसं0 लिखा गया, अभियुक्त ने गलत मुकदमा चलना व गवाहान को झूठी गवाही देना कहा।
28.
(ख) असल बात को घुमा-फिराकर कहना, झूठी गवाही देना, गलत दस्तावेज प्रस्तुत करना, सत्य को छिपाना अथवा समिति/ उप-समिति को गुमराह करना।
29.
अभियुक्तगण ने अपने बयान अन्तर्गत धारा 313 द0प्र0सं0 में घटना से इन्कार करते हुये गवाहान द्वारा उसके विरूद्ध झूठी गवाही देना कहा है तथा कहा है कि वह निर्दोष हैं।
30.
(19) हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहो अन्हुमा से एक हदीस है कि बड़े गुनाहों में सबसे बड़ा गुनाह अल्लाह के साथ शरीक करना और झूठी गवाही देना और गवाही को छुपाना है.