अगर बिना टाँकी लगवाये आप पहले तरबूज ले आते थे तो धोखा हो जाता था, तरबूज मीठा नहीं निकलता था।
22.
टंकिका (सं.) [सं-स्त्री.] लोहे की छोटी टाँकी या छेनी जिससे चक्की, सिल आदि टाँके जाते हैं।
23.
कहीं उसकी रेशमी चुनरी मैली न हा जाए! कितनी महीन मुक्कैश उसने टाँकी थी अपनी चुनरी पर! धुँधलका हो रहा था।
24.
पत्थर की सभी सतहें टाँकी से बहुत बारीक गढ़ी हों, और संधियां श्से अधिक मोटी न हों, तो वह बारीक संगीन चिनाई कहलाती है।
25.
टोली ने टाँकी से लौटते टार्च मारी थी मुझपर, टिहुक उठा था मन मगर वह टोहा-टाई तो किसी प्रेत को टोंचने के लिए थी ।
26.
टाँकी की गढ़ाई जब होने लगी तब तो ऐसी कला प्रादुर्भूत हुई, जिसे देखकर ऐसा लगता है कि वास्तुकला यदि पत्थर की न होती तो शायद बोल ही पड़ती।
27.
टाँकी की गढ़ाई जब होने लगी तब तो ऐसी कला प्रादुर्भूत हुई, जिसे देखकर ऐसा लगता है कि वास्तुकला यदि पत्थर की न होती तो शायद बोल ही पड़ती।
28.
तेरी टाँकी से हृदय चिराने में प्रसन्न था! कि कभी मेरी इस सहनशीलता का पुरस्कार, सराहना के रूप में मिलेगा और मेरी मौन मूर्ति अनन्तकाल तक उस सराहना को चुपचाप गर्व से स्वीकार करती रहेगी।
29.
# # # मूरत के रूप पाने से पूर्व भी था पाषाण का अपना मूल सत्व और प्रकार, तभी तो हो सका था उसमें अंकित बिम्ब टाँकी की अंतस का और हो पाया था मूर्तिकार का सपना भी साकार...
30.
सीताजी की माता सुनयनाजी ने कहा-विधाता की बुद्धि बड़ी टेढ़ी है, जो दूध के फेन जैसी कोमल वस्तु को वज्र की टाँकी से फोड़ रहा है (अर्थात जो अत्यन्त कोमल और निर्दोष हैं उन पर विपत्ति पर विपत्ति ढहा रहा है) ॥ 4 ॥