आनंद मोहन की आजन्म कारावास की सज़ा को सरबोच्चन्यालय द्वारा कायम रखने के फ़ैसले से मुझे ब्यक्तिगत दुख हुया / न्यालय के फ़ैसले पर कोई टिपन्नी करना कतई उचित नही है / देश मे एक न्यालय ही है जिसे आज़ादी के चारो खंभे पर पैनी नज़र रखते हुए अपने कर्तब्य का निर्वहन करना परता है /अपने इन्ही कर्तब्य निर्वहन के तह्दमायावती को आय से अधिक संपति मामले मे राहतदी गई है /आवश्यकता है बिचारों की अभिबयक्ति का दायरा भी बढ़ाया जाए ताकि किसी तरह की ग़लत फ़हमी नही पैदा हो /उमा कांत सिंह
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बहुत बहुत धन्यवाद जी आपका, आपने जो लिखा है बस कमाल लिखा है जी,मैंने भी यही कहने की कोसिस की थी की घर के दरवाजे खुले छोड़ोगे तो चोर तो घुसेंगे ही! वैसे एक बात और कहना चाहूँगा की ज्यादातर लोग किस की बातें ज्यादा करते हैं?मेरे हिसाब से या तो अछे की या तो बुरे की! अब आप अंदाजा लगा सकतें हैं यहाँ ये ब्लॉग अछे के लिए पढ़ा जा रहा है या बुरे होने की वजह से!बस एक टिपन्नी और चाहूँगा आप से! छा गए गुरु आप तो!