पुष्पा इस सीरीज के बारे में बात करते हुए टैराकोटा और फाइबर ग्लास के मीडियम से बहुत आगे निकल आती हैं जहां कभी एक आर्टिस्ट अपनी कला के अमर नमूने पर बात करता दिखता है तो कभी एक मां अपनी आंखों में पूरी ममता लेकर बेटे के फन की तारीफ करती दिखती है।
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अनमना मन पल भर कसक जाता है, कि फिर ड्राइंगरूम में टैराकोटा कछुए की पीठ पर, जिन शंखों को आज तक हमने सहेज रखा है आखिर वो शंख, कोई लाया कहाँ से था?खरक जाता है याद का एक नम टुकड़ा पलक की कोर में,सामने दो बच्चे बैंगनी सीपियॉ इकट्ठे करते यकबयक हंस पड़ते हैं...
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रामायण से संबंधित सैकडों मृण्मूर्तियां (टैराकोटा) हरियाणा प्रदेश के सिरसा, हाठ, नचारखेडा (हिसार), जींद, संथाय (यमुनानगर), उत्तर प्रदेश के कौशांबी (इलाहाबाद), अहिच्छत्र (बरेली), कटिंघर (एटा) तथा राजस्थान के भादरा (श्रीगंगानगर) आदि जगहों से प्राप्त हुई है।