कलकत्ता ट्रामवे कंपनी का अपराध यह था कि मंहगाई बढ़ने के कारण बहुत डरते डरते उन्होंने केवल १ पैसा भाड़ा बढाया था-अर्थात १ २ पैसे की टिकट का भाव बढ़ा कार १ ३ पैसे किया गया था | अतः १ ३ पैसे के सांकेतिक रूप में १ ३ ट्राम कार जला कर कलकत्ता ट्रामवे कंपनी को दण्डित किया गया |
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भारत में सरकारी निजी भागीदारी के कुछ आरंभिक उदाहरण हैं:-दि ग्रेट इंडियन पेनिन् सुलर रेलवे कंपनी, जो बॉम् बे और थाणे के बीच (1853) कार्यरत है, दि बॉम् बे ट्रामवे कंपनी जो बॉम् बे में ट्रामवे सेवा चलाती है (1874) तथा बॉम् बे और कलकत्ता में विद्युत उत् पादन और पारेषण कंपनियां 20 वीं शताब् दी के आरंभ में।
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भारत में सरकारी निजी भागीदारी के कुछ आरंभिक उदाहरण हैं:-दि ग्रेट इंडियन पेनिन् सुलर रेलवे कंपनी, जो बॉम् बे और थाणे के बीच (1853) कार्यरत है, दि बॉम् बे ट्रामवे कंपनी जो बॉम् बे में ट्रामवे सेवा चलाती है (1874) तथा बॉम् बे और कलकत्ता में विद्युत उत् पादन और पारेषण कंपनियां 20 वीं शताब् दी के आरंभ में।
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ईसवी सन १ ९ ६ ४ में-कलकत्ता में-९ वीं कक्षा में पढ़ते समय कॉलेज स्ट्रीट एवं निकट के स्थानों में अपनी आँखों के सामने कलकत्ता ट्रामवे कंपनी की ५ ट्राम कार जलीं हुई देखीं | कलकत्ता में अन्य स्थानों पर भी ८ ट्राम कार जला दी गयीं थीं | कुल मिला कर १ ३ ट्राम कार जला कर पूर्णरूप से नष्ट कर दी गयीं थीं |
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मगर जिस वक़्त बम्बई में जहाज़ से उतरा और काले कोट-पतलून पहने, टूटी-फूटी अंगे्रजी बोलते मल्लाह देखे, फिर अंगे्रजी दुकानें, ट्रामवे और मोटर-गाडियाँ नज़र आयीं, फिर रबड़वाले पहियों और मुँह में चुरुट दाबे आदमियों से मुठभेड़ हुई, फिर रेल का स्टेशन, और रेल पर सवार होकर अपने गाँव को चला, प्यारे गाँव को जो हरी-भरी पहाडियों के बीच में आबाद था, तो मेरी आँखों में आँसू भर आये।
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मगर जिस वक्त बम्बई में जहाज से उतरा और काले कोट-पतलून पहने, टूटी-फूटी अंग्रजी बोलते मल्लाह देखे, फिर अंग्रजी दुकानें, ट्रामवे और मोटर-गाड़ियां नजर आयीं, फिर रबड़ वाले पहियों और मुंह में चुरूट दाबे आदमियों से मुठभेड़ हुई, फिर रेल का स्टेशन और रेल पर सवार होकर अपने गांव को चला, प्यारे गांव को जो हरी-भरी पहाड़ियों के बीच में आबाद था, तो मेरी आंखों में आंसू भर आये।