मेरे सामने वाली कुर्सी पर पसरते हुए ठेपी बोले, “दोस्त, तुम्हें बस स्टैंड से यहां आते देखा था।
22.
ठेपी भाई ने अपनी स् थापना इस तरह दी, दराज शब् द ' दौर ' से अपभ्रंश होकर आया है।
23.
सदा पैदल चलने और स्वस्थ रहने की नसीहत पर अमल करने वाले ठेपी भाई को मैंने एक दिन मोटरसाईकिल चलाते देखा।
24.
मुख्यमंत्री महोदय को तो सूचना मिलने का तो सवाल ही नहीं उठता, वे आजकल कान में ठेपी लगाकर राज करते हैं.
25.
नागार्जुन कहा करते थे कि उम्र के इस दौर में अक्सर उनकी ‘ ठेपी ' खुल जाती है, कहीं आपकी भी.
26.
ठेपी भाई, ' यस बॉस ' कह कर चले आये और ठान लिया कि भविष् य में अपने स् तर पर कोई परिवर्तन नहीं करेंगे।
27.
ठेपी बोले, मित्र जब मैंने पहली दफ़ा दिमाग लगाया तो डांट मिली, दूसरी बार भी मैं अपने स् तर पर सही था तो भी लताड़ सुनी।
28.
ठेपी बताते हैं कि थोड़े दिन बाद प्रधान कार्यालय से खेदजनक पत्र आया कि आपके कार्यालय में आठ राजपत्रित अधिकारी होते हुए भी ' निल ' रिपोर्टिंग क् यों हुई? नतीजन, शीर्ष अधिकारी ने आग बबूला होकर नीचे वाले अधिकारी को तलब किया।
29.
' मालूम नहीं कैसा है, मगर है पागलपन ही,' सस्ती कुर्सी खींचकर जुसेप्पे ने उस पर अपनी थकी देह गिराई, बोतल की ठेपी खोलकर गटगट पानी पीने लगा, ‘बच्चों सी खुशी का ऐसा बुखार तुम्हीं पर चढ़ता देखता हूं, मेरे मन में तो समूचा सूनसान है.
30.
' ' ठेपी भाई के किस् से को परवान चढ़ाते हुए, तरन् नुम राजस् थानी ने उसी मिजाज का परवीन कुमार ' अश् क ' का एक शेर पढ़कर सभी की दाद लूट ली-‘ ' बरसों से जिन् दगी की अरजी गुम है दराजों में।